रविवार, 10 अक्टूबर 2010

Real Justice/Thought/This time

@-[रियल जस्टिस]सबसे असली न्याय कि बात तो यह है कि यह ज़मीन ,वह भूमि .या वह हिस्सा सब विशाल कुदरत  ,जिसे महान ईश्वर कहते है ,का है |उस पर मंदिर -मस्जिद बना कर तो वस्तुतः मनुष्य उसका अपमान करता ,उसका हक छीनता है |अब अगर कोर्ट ने ऐसा निर्णय दे दिया होता तो क्या वह गलत होता ?क्या वह भी अस्वीकार न करदिया जाता ?क्या इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए
@ [विचार ]      लोग बातें बहुत करते  हैं   |  पता नहीं कुछ वे सोचते कब हैं  ?   
@  आपत्तिजनक विज्ञापन :-एक चोकलेट का प्रचार  निहायत ही आपत्तिजनक लग रहा है आजकल टी .वी पर |एक कथक नर्तकी चोकलेट चाटने के चक्कर में स्टेज पर अपनी भूमिका रोक देती है |मेरे ख्याल से यह कला ,खासकर नृत्य कला का घोर अपमान है |एक बेजा बात |कलाकार तो अपनी परफार्मेंस के आगे खाना -पीना तक भूल जाता है |#[This time] 

1 टिप्पणी:

  1. You are absolutely right when you say that the land is a natural asset of the whole humanity. I have been working to eradicate private ownership on land -
    http://intellocracy.blogspot.com
    http://bhaarat-bhavishya-chintan.blogspot.com

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