१= [हाइकु ] गुलबिया तो / पिंकी हो गयिलस / शहर जा के |
२= ,, बिना पिटाई / मुझे नहीं लगता / सभ्यता आई |
३ = ,, अठखेलियाँ / काम नहीं करतीं / दूर तलक |
४ = ,, क्या पाया न था / कुछ भी ज़िन्दगी में ! सब खो दिया |
५ = ,, खाली वक़्त की / काट है सिगरेट / और क्या कुछ |
६ = ,, हे मौन तेरा / ही आसरा अब तो / अंन्य न कोई |
७ = ,, भटको नहीं / किसी का सहारा लो / जीवन पार |
८ = ,, सारी अदाएं / जब तक जवानी / तभी तक है |
९ = ,, इतना झूठ / बोलता है सुजन / विश्वसनीय |
१० = ,, मेरे पास है / हर बात की काट / प्रश्न -उत्तर |
११ = ,, दर्शन हेतु / मनोरम दृश्य है / गंगा सागर |
१२ = वैसा हो जाता / ऐसा हुआ होता तो / भ्रम है मात्र |
१३ = नवाबी सोच शासकीय प्रवृत्ति / मुसल्मानों की |
१४ = जीने का मन / होने लगा है फिर / अभी जियूँगा |
१५ = मन में पाप / कहते हम लोग / प्रगतिशील |
१६ = बिना बोले भी / काम नहीं चलता / यद्दपि मौन |
१७ = झुठलाइये / वर्तमान सत्य को / यही क्रांति है |
१८ = पाप है सही / लेकिन मन में है / बाहर तो नहीं |
*=[उवाच ] जादू के ट्रिक यदि आप जानते है , तो जादू के खेल में आपको कोई मज़ा नहीं आएगा |
,, * लोकहित भावना ही नहीं स्वार्थ -भावना भी प्रजातंत्र कोपोषित कर सकती है , बल दे सकती है |
यथा , अपनी स्वतंत्रता का स्वार्थी दूसरों की आज़ादी का कायल भी हो सकता है |
,, * अब मर्द तरक्की करके औरतों की बराबरी पर आ रहे हैं | फिल्मों में पहले केवल लड़कियां ही नाचती थीं ,
अब लड़के भी बराबर से नाचती हैं |
,, * मै मंत्री -प्रधानमंत्री बनने को राज़ी इसलिए नहीं हूँ क्योंकि पुलिस की रक्षा प्रोटोकोल में बंधना मुझसे
न हो पायेगा |
,, * मै अकेला हो सकूँ , इसके लिए ज़रूरी है कि मैं भीड़ में रहूँ |
* ,, = ईश्वर पर ही नहीं हम अपने पर भी भरोसा नहीं करते |
*= [समय ] हम भाजपाई , संघी ,शिव सैनिक , नहीं है | लेकिन हिन्दू तो हैं ! अराजनीतिक रूप से मुस्लिम
राजनीति को समझ तो सकते हैं !
,, * सिफारिश हो तो कोई भी व्यक्ति पद के सुयोग्य हो सकता है |
*= ,, क्या यह बस संयोग है की पूजापाठी , अन्धविश्वासी प.बंगाल में कम्यूनिज्म सफल है | ऐसा तो
नहीं कि यह भी एक धर्म के सामान है !
,, * माओवादी इतने ताक़तवर हैं तो इसलिए भी वे देश की वर्तमान प्रचलित तौर -तरीके में फिट
हो सकते हैं , अवसर का लाभ उठा सकते हैं | बूथ कब्ज़ा करके वे कोई भी चुनाव जीत सकते हैं | जब
सफलता इतनी आसानी से मिल सकती है तो इतनी मार -काट की क्या ज़रुरत है ?
,, * अब तो यह भी हो रहा है कि यह किस पार्टी का मूर्ति-विसर्जन है | फिर तो दुर्गापूजा के पंडाल भी
पार्टियों के अलग -अलग होंगे !
*[बदमाश चिंतन ] * अंडरवर्ल्ड = गुंडई | अपर वर्ल्ड = पोलिटिक्स ---
*[Point to write upon ] = Defining marriage as हाथी घूमे गाँव -गाँव ----जेकर हाथी वोहीके नांव |
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