1-[अयोध्या];आप ने गौर किया या नहीं कि यह निर्णय ,या यह जो कुछ भी हो ,दोनों फरीको को नई रौशनी में आपस में मिल बैठ कर समझौता करने के लिए रास्ता खोलता है |अब उन्हें यह तो समझ आ ही सकती है कि कुछ कर लिया जाये वरना इससे भी बुरा हो सकता है |तथा इससे बेहतर तो समझौते द्वारा ही संभव है |
२-[ख़तरनाक प्रवृत्ति ];दोनों पक्ष सर्वोच्च अदालत में जाने को सोच रहे हैं |हिन्दू का यह सोचना तो समझ में आता है कि चलो यदि कोर्ट कुछ खिलाफ हुआ और उसने एक कमरा छीन भी लिया तब भी एक कमरा हमारे पास बचेगा |लेकिन मुस्लमान क्या सोच कर जा रहा है ?क्योंकि उसका वोह कमरा भी चला गया तो उसके पास तो कुछ भी नहीं बचेगा |लेकिन तब वह क्या करेगा इसका अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है |वोह शाहबानो केस के उपरांत जैसा रवैया अख्तियार कर सकता है |ऐसे विकल्प की बात सोचना क्या घातक नहीं है ,भले ही अब हिन्दू भी यह लाइन लेने को सोचने लगे हैं ?
३-[धर्म की मुर्खता ];धर्म अपने आप में मुर्खता ही हैं| लेकिन ईश्वर की तरह ही सर्व व्यापी |ज़ाहिर है यह समाप्त होनी चाहिए |और जब यह समाप्त होगी तब किसी को छुट नहीं मिलेगी |यदि हिन्दू समाप्त होगा तो मुस्लिम सिख ईसाई भी समाप्त होगा |लेकिन जब तक ये हैं तब क्या होगा ? तब तक इन्हें समझदारी के साथ रहना होगा ,एक दुसरे की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का लिहाज़ करते हुए और अपने अपने राज्य -राष्ट्र के सन्दर्भ में |अर्थात एक देश में एक मुर्खता रहे .तब झगडे नहीं होंगे ऐसा ख्याल किया जा सकता है| एक देश में कई मूर्खताएं जैसा सेकुलरिज्म ठीक नहीं |जैसे ईरान में ईसाई मुर्खता न रहे ,न इंग्लैण्ड में सिख मुर्खता \,फ़्रांस में मुस्लिम मुर्खता चलाने की कोशिश की जायगी तो यह गलत होगा |अमरीका में हिन्दू पढ़ने ,कमाने जायं तो ठीक ,लेकिन वहा हिन्दू राज्य जैसी अपनी कोई मुर्खता कायम करने का स्वप्न देखने ,प्रयास करने लगेँगे तो मारे,दुत्कारे ,लताड़े जायगे ही |अपनी संस्कृति,परम्परा या जो भी वे उसे कहना चाहे ,[यहाँ तो हम उसे कामन मुर्खता ही कह रहे है,भले ही वे बड़े उम्दा लिबास पहन कर आते है ]हिंदुस्तान या भारत या इण्डिया में सीमित रखे यही बेहतर | यही सभी धर्मो या मूर्खताओ पर लागु होता है | आमीन |ऐसा ही हो | let it be so |
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