शनिवार, 30 अक्टूबर 2010

mixed subjects

I say  :   MARRIAGE IS NOT A LOVE AFFAIR ..
*         * If youare in politics ,you must be a socialist . If you are not directly in politics ,you ought to be individualist . In this way a dialectics ,a process of adjustment between real thought and practical action ,would go on in the society, and so in the civilization .  # 

उवाच :     जब 'वादी ' हो गए , तो कैसे कवि और कैसे बुद्धि जीवी  !  #        or :
*  जब 'वादी ' हो गए , तो समझो - बुद्धि के " बागी " हो गए |  #

*  मार्क्सवादी [ या इन अर्थों में हि०मु० सिoई० भी] पैदाइशी  मूर्ख नहीं होते | इन्हें बाद में बनाया जाता है |

*
व्यक्तिवाचक  :      " औरत कहती गयी , मैं करता गया | "   [ambiguous]


This age  :
                         * DIVIDED PARTS OF INDIA
Here some persons are,themselves,not a part of India. See, what are these magassesse and booker awards ? What for they are ? Who gives them to Indians to alienate them from India ? Look, what are awardees doing and behaving like ? Like DADAS & DIDIS of words with no swords in their hands . They make our Indians fight in line with them . they are wrecking the integrity of India.they are  not  Indians themselves. The Indian knows to rule and to be ruled . These people with their heights (urooz) of talent (-----) avoid responsibility of ruling but do disturb the ruled masses .



*भारतीय जनमानस  :  राम जेठमलानी की तरह तमाम हिन्दुस्तानियों का पक्ष है | वे भाजपा को चाहते तो हैं , लेकिन उसकी नादानियाँ पसंद नहीं करते | अब शायद यह मानस , दृष्टिकोण कभी भारत पर राज करे !  #


* यह सच है और सब जानते हैं कि अयोध्या का मामला हिन्दुओं की राजनीति है , शुद्ध राजनीति | इसमें हिन्दू धार्मिकता या आध्यात्मिकता का कोई ,कतरा भी अंश नहीं है | चलिए यदि हम उनकी बात या पीड़ा मान भी लें कि एक गैर इस्लामी या इस्लाम विरोधी राजनीति होनी स्वाभाविक है देश के बंट जाने और पकिस्तान के इस्लामी बन जाने के बाद | तो भी हिंदुत्व के भ्रमित सिपाहियों को भाजपा और विहिपियों को , कि यह एक गलत राजनीति है ,जिससे कुछ भी हासिल नहीं होने वाला | यह बचकाना है ,जैसा जेठमलानी कहते हैं , childish .| इससे हिन्दू लामबंद नहीं होगा | उलटे मुस्लिमों को एकजुट होने का बहाना मिल रहा है और अपनी दयनीयता का रोना विश्व में फ़ैलाने का मौका | राजनीति को राजनीति कि तरह हि लड़ना चाहिए ,न कि आस्था की दुहाई पर | इसे अब के ज़माने में कोई विश्व नहीं सुनता | राजनीति लौकिक व्यवहारों पर चलती है | जिन्ना सर ने हिंदुत्व और इस्लाम का झगडा पेश नहीं किया था | उन्होंने हिन्दू और मुस्लिम कौमों की वर्गीय ,दुनियादारी के जीवन का मुद्दा उठाया था | ऐसे कि ये दोनों इन -इन कारणों से ,रहने सहने के तौर तरीकों में  ये -ये -भाषा ,संस्कृति  आदि में फर्क के कारण साथ नहीं रह सकते | महीन बात है समझने की | उसी तरह अब हिन्दू भी सशक्त तरीके से उन्ही के तर्क पर कह सकता है कि हिन्दू भी हिंदुस्तान में उनके साथ रहने में विनम्रता पूर्वक  असमर्थ है | इसमें राम कहाँ पैदा हुए ,कहाँ मरे से क्या मतलब ? युद्ध की दिशा हि पूरी बदल जाती है | समर्थक कोई बुद्धिमान नहीं मिलता और अभियान के विरोधी ज्यादा तैयार होते हैं  | जैसे कि एक यही ,इन पंक्तियों का लेखक ही | यह उन का  विरोधी है क्योंकि उनकी हरकतों से देश कमज़ोर हो रहा है जो नागरिक को कतई बर्दाश्त नहीं |  # 


*  चार -चार कोस पर भाषाएं बदलती ,मिलती -बिछुड्ती किस तरह आगे चलकर बंगाली , तमिल ,तेलुगु , कन्नड़ हो जाती हैं कि समझ में नहीं आती  ! 


कविता : 
                   *      मैंने उनसे
                          माफ़ी मांगने को कहा 
                          उन्होंने  नहीं मांगी  
                          मैंने उन्हें  
                          माफ़ कर  दिया |   #

Story 
             Title  :    साडी - ब्लाउज 

हिन्दू समाज में हर बात पर साडी ब्लाउज का चक्कर है | बहन , बुआ ,मौसी ,यह ,वह , आ रही हैं तो | कहीं मुंडन ,ब्याह ,गौना या कोई न्योता है तो चाहिए | हमारी औरत कहीं जाए ये कहीं से कोई औरत हमारे घर आये तो यह ज़रूरी सामान है | यदि संबंधों में ये दो कपडे न आते तो व्यवहार अधिक सरल होते |


गाकर  :    *  नींद आती है तो आये |  नींद जाती है तो जाए ....

*  कहना मेरा काम है सुनना उनका काम | अब मैं कर सकता नहीं सारा इन्तेजाम |


                                     हाइकु :


  *  आती है कोई     /    नई यदि सभ्यता     /    तो आएगी ही     |

*    चार दिन की     /    चांदनी है फिर तो     /    अँधेरी रात     |

*    प्यार  ! प्रणाम     /    जाने के लिए नहीं     /    आने के लिए     |

*    हार्ट अटैक     /    मेरे पास दिल है     /    यह तो सिद्ध     |

*    छोटी सी काली     /    माता है सुंदर सी     /    दक्षिणेश्वर     |

*    एक दिन में     /    नहीं होता फलित     /    प्यार व्यापर     |

*    एक ही मंत्र     /    मुझे याद ,वह है     /    शरणागत     |

*    वह मिलेगा     /    यह बात नहीं है     /    वह पास है     |

*    अभी तुम्हारा     /    चेहरा देखना है     /    कहाँ देखा है     |

*    बिना मंदिर     /    बिना मीनारें   कहाँ   /     जमतीं आँखें     |

*    देखूं तुमको     /    पुनि -पुनि आकर     /    शीश झुकाऊँ     |

*    कैसे लेखक     /    काहे के बुद्धिजीवी     /    कौड़ी के तीन    |
       

मंगलवार, 26 अक्टूबर 2010

Vichittra beejak

समय :  यह साफ़ होना चाहिए कि कश्मीर कश्मीर का है जिलानी का नहीं | और अरुंधती को धन्य मनाना चाहिए कि वह हिंदुस्तान में हैं |
*  यदि मै कोलकाता की सेवा कर रहा हूँ तो कोलकाता भी तो मुझे रोज़गार दे रहा है   !
*  पढाई के प्रमाणपत्र शिक्षा के कोई सुबूत नहीं हैं |
*    हिंदी वाले कहते हैं कि वे जो बोलते हैं ,वही लिखते हैं , लेकिन जब वे 'त' बोलते हैं तो वे "त "(हमारी तरह बंगला में ) लिखते क्यों नहीं ?
*    अच्छा हुआ जो दुनिया  हमारे कहने में नहीं हुयी !
*    बुरा मानने की बात नहीं है | सही है कि प्रेमचंद ने दीन- दुखियों कि हालत बहुत अच्छे ढंग से लिखी | लेकिन इससे क्या हुआ ? क्या तब से अब तक उनकी पीड़ा कुछ कम हुई ?
*    हिंदी फिल्म और सीरियल बनाने वाले या तो जनता को मूर्ख समझते हैं या उन्हें मूर्ख बनाते हैं  !
*    करवाचौथ क्या है ? नयी बेहतरीन साड़ी खरीदने और उसे पहनकर प्रदर्शित करने का बहाना |

कथातत्त्व :   - तुम मुझे इस तरह घूर क्यों रहे हो  ?
                     = मैं तुम्हें कहाँ , मैं तो सृष्टि  को निहार  रहा हूँ  ! #

कविता  :   *    भ्रम ही है
कि हाथ - रिक्शा अमानवीय है
और ऑटो रिक्शा --
मानवीय !   #

  *    उनकी याद आई
और मेरी
नींद टूट गयी   | #

*छोटी - छोटी जिंदगियां
इतनी बड़ी दुनिया चला रही हैं
कैसे ?
कि विश्वास नहीं होता
आश्चर्य होता है     |  #

*  अभी आपने देखी कहाँ
संबंधों की
लम्बाई चौड़ाई
ऊंचाई गहराई ,
अभी तक आपने प्यार को
इसके सतह पर देखा है
ऊपरी परत      |  #

*वह बूढ़ी थी
अब तक मर गयी होगी ,
अब मै बूढ़ा हो गया हूँ
तब तक मैं मर जाऊंगा  |  #
उवाच  :  *  पुरानी किताबों में वेश्यागमन को बुरा बताया गया है | कहीं ऐसा न हो कि यह इतना ऐसा न हो ,  इनकी अन्य बातों कि तरह !   #

*   अभिनेत्रियाँ  वेश्या हो पायें या नहीं , वेश्याएं गज़ब की अभिनेत्रियाँ  होती हैं   |   #  

*   वोट की राजनीति नहीं , राजनीति से वोट प्राप्त करो  |   #

*  " ट्यूशन " फीस तो स्कूल लेता है , मुझे ट्यूशन पढने बाहर जाना पड़ता है  |   #

हाइकु :        यहाँ चलेगी     /     सारी अराजकता     /    राज न कोई  
*    भूल जाओगे     /    ऐसे ही धीरे धीरे     /    सारा प्यार व्यार      |
*    पिस्तोल हो तो     /    गुस्सा आ ही जाता है     /    बन्दूक हो तो     |
*    यह आपकी     /    मानी हुयी बात है     /    यथार्थ नहीं     |
*    इससे ज्यादा     /    कानून हम नहीं     /    बघार पाते     |
*    आख़िरकार     /    गुण ही काम देगा     /    शृंगार नहीं     /    अनुपयुक्त होगा     /    रूपसि होना     |
*    बिलावजह     /    की वर्जिश है यह     /    नामबदल    |
*    एक ज़िन्दगी     /    किसी की भी ज़िन्दगी     /    ज़िन्दगी ही है      |
*    सेवा कर दूँ     /    कोई कहे मुझसे     /    कोई बोले तो     |
*    हर जगह     /    मजबूर आदमी     /    बच्चे  औरतें     |  

रविवार, 24 अक्टूबर 2010

Chun chun ka murabba

उवाच :    *        हर व्यक्ति तुम्हे अपना नहीं बना सकता | इसलिए ज्यादा लोगों से सम्बन्ध बनाओगे तो इस्तेमाल तो  हो  जाओगे , तुम ठगे ही जाओगे  |  [उपदेश ]

* हिंदी को बहुत बढ़ावा देने के प्रयासों के समक्ष अन्य भारतीय भाषाएँ घुटने टेकने तो नहीं जा रही हैं , ऐसे में हिंदी को इतना बढ़ावा दिया ही क्यों जाए

*  God is our aesthetic sense, Our aesthetic sense is God .

हाइकु :   *    रोया कीजिये     /    सशक्तीकरण तो     /    रोने से होगा     |

*      कर्म नहीं है     /    तो भाग्य ही समझो     /    काम करता     |

* अनसुनना    /    लालच का आह्वान     /    कठिन काम     |           

कविता :  *    यह तुम्हारा समय है
और वह रहा मेरा थोडा दूर खड़ा
मैं अपने समय के पास जाऊं
या तुम मेरे समय तक आओ
तो हम दोनों को
तुम्हारे समय से होकर ही
जाना , गुजरना पड़ेगा |

अब समझ में आया
मैं तुम्हारे साथ क्यों खड़ा हूँ  ?
क्योंकि यह ज़रूरी है
मुझे अपने
समय के पास
पहुँचने के लिए  | #

शनिवार, 23 अक्टूबर 2010

Haiku, Uvach , Time , Badmesh , Points

१=      [हाइकु ]      गुलबिया तो     /    पिंकी हो गयिलस    /    शहर जा के     |

२=     ,,                 बिना पिटाई     /    मुझे नहीं लगता     /    सभ्यता आई     |

३ =   ,,                 अठखेलियाँ     /    काम नहीं करतीं     /    दूर तलक     |

४ =    ,,               क्या पाया न था     /    कुछ भी ज़िन्दगी में     !    सब खो दिया     |

५ =    ,,                 खाली वक़्त की     /    काट है सिगरेट     /    और क्या कुछ     |

६ =       ,,              हे मौन तेरा        /    ही आसरा अब तो     /    अंन्य न  कोई     |

७ =      ,,           भटको नहीं     /    किसी का सहारा लो     /    जीवन पार     |

८ =    ,,             सारी अदाएं     /    जब तक जवानी     /    तभी तक है     |

९ =      ,,            इतना झूठ     /    बोलता है सुजन     /    विश्वसनीय     |

१० =    ,,          मेरे पास है     /    हर बात की काट    /    प्रश्न -उत्तर     |

११ =    ,,          दर्शन हेतु     /    मनोरम दृश्य है     /    गंगा सागर     |

१२ =             वैसा हो जाता     /    ऐसा हुआ होता तो     /    भ्रम है मात्र     |

१३ =            नवाबी सोच     शासकीय प्रवृत्ति     /    मुसल्मानों की     |

१४ =            जीने का मन     /    होने लगा है फिर     /    अभी जियूँगा     |

१५ =            मन में पाप     /    कहते हम लोग     /    प्रगतिशील     |

१६ =            बिना बोले भी     /    काम नहीं चलता     /     यद्दपि मौन     |

१७ =             झुठलाइये     /    वर्तमान सत्य  को     /     यही क्रांति है     |

१८ =            पाप है सही     /    लेकिन मन में है     /    बाहर तो नहीं     |
*=[उवाच ]        जादू  के ट्रिक यदि आप जानते है  , तो जादू के खेल में आपको कोई मज़ा नहीं आएगा |

         ,,           *  लोकहित भावना  ही नहीं स्वार्थ -भावना  भी प्रजातंत्र  कोपोषित कर सकती है , बल दे सकती   है  |
                     यथा ,   अपनी स्वतंत्रता का स्वार्थी दूसरों की आज़ादी का कायल भी हो  सकता है  |

        ,,            * अब मर्द तरक्की करके औरतों की बराबरी पर आ रहे हैं  |  फिल्मों में पहले केवल लड़कियां ही नाचती थीं ,
                     अब लड़के भी बराबर से नाचती हैं |

        ,,             *      मै मंत्री -प्रधानमंत्री  बनने को राज़ी  इसलिए नहीं हूँ  क्योंकि पुलिस की रक्षा प्रोटोकोल में बंधना मुझसे
                         न हो पायेगा |

         ,,            *       मै अकेला हो सकूँ  , इसके लिए ज़रूरी है कि मैं भीड़ में रहूँ   |    

  *    ,,             = ईश्वर पर ही नहीं हम अपने पर भी भरोसा नहीं करते |
                       

*= [समय ]             हम  भाजपाई , संघी ,शिव सैनिक , नहीं है | लेकिन हिन्दू तो हैं ! अराजनीतिक रूप से मुस्लिम
                      राजनीति को  समझ तो सकते हैं !

      ,,                    * सिफारिश हो तो कोई भी व्यक्ति पद के सुयोग्य  हो सकता है  |

*=  ,,                    क्या यह बस संयोग है की पूजापाठी , अन्धविश्वासी प.बंगाल में कम्यूनिज्म सफल है | ऐसा तो
                            नहीं कि यह भी एक धर्म के सामान है !

      ,,                     *        माओवादी इतने ताक़तवर हैं तो  इसलिए  भी वे देश की वर्तमान  प्रचलित तौर -तरीके में फिट
                                हो सकते हैं , अवसर का लाभ उठा सकते हैं | बूथ कब्ज़ा करके वे कोई भी चुनाव जीत सकते हैं  | जब
                                 सफलता इतनी आसानी से मिल सकती है तो इतनी मार -काट की क्या ज़रुरत है ?

    ,,            *    अब तो यह भी हो रहा है कि यह किस पार्टी का मूर्ति-विसर्जन है | फिर तो दुर्गापूजा के पंडाल भी
                   पार्टियों के अलग -अलग होंगे  !

*[बदमाश चिंतन ]        *    अंडरवर्ल्ड  = गुंडई       |       अपर वर्ल्ड  =  पोलिटिक्स   ---

 *[Point to write upon ]      =  Defining marriage as  हाथी घूमे गाँव -गाँव ----जेकर हाथी वोहीके नांव  |

शनिवार, 16 अक्टूबर 2010

मन में आता है

१० -
९ - इतनी विशाल पृथ्वी को देखते हुए भी जब कुछ लोग अपने को महान कहते हैं तो आश्चर्य होता है |

८ - कई बार मन में आता है कि इस आदमी या औरत से घृणा करूँ | फिर ख्याल आता है कि हमें तो सारे
मनुष्यों से प्रेम करना है |

7*  लोग अपने पास इतने कपडे रखते हैं ,जब की स्थिति यह है कि एक जींस में पूरा जीवन पार हो सकता है |

6* Like government,parliament house ,buildings,rest houses,like T.V.,fridge,furniture , car ,aeroplane, nuclear armament , ladies' ornaments, like dictionary,language ,literature , art paintings, songs ,music and dance etc.god , godesses religion and cultures are also important human discoveries and creations . They too are supposed to  be used carefully for the betterment of humankind .  #

5* न कोई terrorist  है ,न कोई fauzi  | सब अपने -अपने मालिकों के गुलाम हैं |   #

4* T.V. वाले विज्ञापनों से छुट्टी पायें तब न सीरियलों में कुछ सीरिअस  दिखाएँ  !

3* जबसे दिल की  बीमारियाँ बढ़ी हैं , हर साधारण डोक्टर हार्ट स्पेशलिस्ट हो गया है |

2* कहाँ तो थोरो [ जिनसे हमारे गाँधी जी बहुत प्रभावित थे ] का कहना है कि सबसे अच्छा शासन वह है जो
सबसे कम शासन करे,अर्थात शासन जितना दूर हो उतना ही अच्छा  | और कहाँ यह सरकार शासन को हमारे नज़दीक से नज़दीक हमारे गाँव -परिवारतक लाती जा रही है | कहते हैं यह सब राजीव गाँधी की
 देन है , और हमारे लोकतंत्रवादी , पढ़े -लिखे बुद्धिजीवी इससे अत्यंत प्रसन्न और उत्साहित हैं कि सत्ता का विकेंद्रीकरण हो रहा है |
     रोना यह है कि गाँधी बाबा भी यदि जिंदा होते तो प्रसन्न होते | फिर तो भुगतिए गावों में सत्ता का , और सत्ता के चलते गावों का जो हाल हो रहा है ! प्रत्यक्षं किं प्रमाणं  | अब मेरे अकेले के बोलने से क्या होता है |
 मैं तो शुरू से कहता था कि गावों को सत्ता का खून मत चटाओ, इसे भ्रष्ट न करो | अब भी इतना तो फिर
 भी कहता हूँ कि ग्राम प्रधानों को विकास के लिए पैसा मत दो | उनसे राय ले लो ,पर निर्माण कार्य केंद्र /
राज्य सत्ता की एजेंसियों / विभागों से उनके मापदंडों  से कराओ |

1*    यदि  सिद्धांत और व्यवहार की बात की ही जाए तो जिस प्रकार एक रूपया गाँव तक
पहुँचते-पहुँचते बीस -पचीस पैसा रह जाता है , उस तर्ज़ पर सत्ता को तो शून्य होकर पहुंचना 
चाहिए | तर्क कि बात है या नहीं ? 

शुक्रवार, 15 अक्टूबर 2010

खुल जा सिमसिम 5 up


६ - मैंने वह किया जो मुझे नहीं करना चाहिए था | जो काम मेरे जिम्मे नहीं था , जिसे करने में मैं प्रशिक्षित / प्रवीण नहीं था | फिर भी मैंने किया , एक मनुष्य की हैसियत  से | कवितायेँ लिखना , विचार करना , धर्म  और  राजनीति  में दखल   देना इत्यादि | अब भला उसे मैं कितना कर पाया हूँगा , वह तो सबके सामने है |
गैर ज़रूरी ही सही , मैंने तो किया  |

५ - दिमाग न फिर जाये , कहीं मैं पागल न हो जाऊं | इसलिए लिखता , उदघाटित करता रहता हूँ मन कि बातें -कविता , कहानी . लेख -आलेख , व्यक्तिगत विचार | कदमताल द्वारा मानसिक , सामाजिक , राजनीतिक कार्यक्रम |
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४ *  मैं किसी के साथ नहीं रह सकता |. Adjust ही नहीं कर पाता.|  अकेलापन ,एकांत या कहें भीड़ में  गुम रहना अच्छा  लगता है मुझे |
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   ३ *  लोग बोलते है तो मै चुप रहता हूँ | जानता हूँ ,बकवास करते है वे | तब भी मै उन्हें बोलने देता हूँ |
       मै जानता हूँ  उनके कहने से कुछ नहीं होने वाला , न मेरे विरोध करने से कुछ बदलने वाला |
       न जाने कैसे यह ,कहें कि डेमोक्रेटिक व्यवहार मुझमे कब ,कब से घर कर गया है |
       मुझे अच्छा लगता है | लोग हांकते रहे है ,मै मुस्कराता रहता हूँ |
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   2* पूरे माहोल से निस्पृह रहना , हो जाना मेरी अंतरात्मा का शगल है |
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१ *  मुझे अच्छा लगता है जब कोई मेरे मुंह से मेरा निवाला छीन लेता है |
       मुझे  भ्रम होता है कि वह  मुझसे प्यार  और   मुझ   पर भरोसे के कारण ऐसा कर रहा है |
       इसका मतलब उसे पता होता है कि मैं उस  पर नाराज़ नहीं हूँगा |
       इस विश्वास को कायम रखता हु मै
      |मैं ऐसे झूठे भी  प्यार के भ्रम में जीना चाहता हूँ
      तभी  |मै अनुभव  कर पाता  हूँ कि मै मानवता की कोई एक भले लघुतम किन्तु अद्भुत  थाती जी रहा हूँ |
      यह कोई   दूसरी दुनिया में जाने जैसा अनुभव होता है भाई
      |इसीलिये इसे आप से शेयर करना ,बाँटना चाहता हूँ
|      सचमुच  तभी मै   महसूस करता  हूँ कि मै तो मनुष्य हूँ   |
      किसी के सुख के लिए एक सीमा तक कष्ट सहना कितना  आनंददायक होता है मै कैसे बताऊँ  ?
      यह तो महसूस करने की बात है ,और अपने में मगन रहने की |
     | यह अपनी बडाई नहीं ,केवल विनम्र आत्मस्वीकृति है |  ##

========================THE END==written  bottom to top

मैं भी दोषी 4

४ - धर्मों की बड़ाई सुनो तो तो कानों पर हाथ रख लो | बोल दो , हमारे लिए इसे सुनना पाप है |
३  - Secularism means सच्ची धार्मिकता | निरपेक्षता के चक्कर में सारा बेडा गर्क हुआ | पंथ निरपेक्षता क्या निगेटिव नहीं जिसकी वकालत हिंदी - हिन्दू -हिंदुस्तान वाले करते हैं ? लेकिन वे भी क्या करते , उन्हें
धार्मिकता की न कोई समझ है ,न उन्हें उससे कोई लेना - देना है | उन्हें तो सिर्फ राजनीति की रोटी सेंकनी है | [ हम नागरिकों द्वारा इस पर विषद चिंतन और तरजीह देने की आवश्यकता है ] | हम यदि इसे
धार्मिकता के रूप में लें तो देखेंगे कि व्यक्ति और समाज में कितना क्रन्तिकारी परिवर्तन आता है !
         Secularism  में निहित मूलमंत्र यह है कि धार्मिक या ईश्वरीय या लोकिक  या प्राकृतिक , कोई भी सत्य कहीं किसी एक जगह नहीं छिपा है | सेकुलर व्यक्ति उसे सभी जगह तलाश करता है और उसमे कुछ अपना
भी जोड़ता घटाता है अपने विवेक से | वह पूरा का पूरा किसी किताब का नहीं होता , कोई भी समझदार व्यक्ति किसी ग्रन्थ या गुरू का गुलाम नहीं हो सकता  | तो फिर वह हिन्दू मुसलमान कैसे हो सकता है | उसे बुरा लगता  है अपने को इन छोटे छोटे नामों से संबोधित करना  | बस इसी समझदारी का नाम  सेकुलरिज्म है | बहुत आसान है यह | बहुत साधारण आदमियों का काम है यह जिसकी नीयत दुरुस्त हो , आत्मा परिशुद्ध हो | इसमें संगठित  होने की भी आवश्यकता  नहीं है , इसीलिये इसके कोई संगठन नहीं होते  आध्यात्मिक स्तर पर | जो कुछ दिखाई सुनाई पड़ रहे है वे कुछ राजनीतिक उद्देश्य के लिए होते हैं जिसकी भी लोकतंत्र में आवश्यकता पड़ती है | पर अकेले व्यक्ति के लिए तो बस थोड़ा  सा दिमाग लगाने  और उसे सम्वेदना के साथ हमेशा साथ रखने  की  ज़रुरत होती है |अकेले आदमी का अलग अलग व्यक्तिगत  धर्म है यह | इसीलिये  यह अन्य धर्मों कि तरह धर्म नहीं हुवा , न है और न होगा | फिर ,ऐसे  अकेले -अकेले  जन कितने उत्कृष्ट जनतांत्रिक समाज का निर्माण करेंगे  इसकी कल्पना ही रोमांचक और स्वर्ग तुल्य है | इसी कोशिश में लगे हैं हम लोग |

 


२ - शूद्र के लिए भगवान की आराधना , पूजा- पाठ ,दर्शन- चढ़ावा मना है | और देखा जाए तो पूरा कर्मशील भारत तथा
पूरा संसार ही एक प्रकार से शूद्र है | निष्कर्ष यह कि अब उसे भी ईश्वर की प्रार्थना बंद कर देनी चाहिए | ब्राह्मण   का कहना
माना जाना चाहिए |
  
१  *   इस मामले में तो मैं भी पुराने संतों की तरह दोषी हूँ , जो मै भी ईश्वर के होने -हवाने की बात करता हूँ |ईश्वर जो सचमुच तो है नहीं ,पर उसे मान लेने की वकालत करता हूँ | एक तो कारण यह हो सकता है की चूंकि उसे ९० से ज्यादा प्रतिशत जनता मानती है तो उसे समाप्त करने से पहले उसे ही रेशनलाइज़ क्यों न किया जाये ? बड़ी असफलता से छोटी सफलता ही भली | यह भी तो बुद्धिमत्ता ,समझदारी की बात .बुद्धिवाद के अंदर की बात है / होगी |
          संतों से अलग पहले तो मेरा काम यही है कि संतई का बाना छोड़ दिया जाय ,कोई धार्मिक यूनीफोर्म न धारण किया जाय | बहरहाल आगे की बातें होती रहेंगी पर अभी तो ईश्वर को मान लेने ,उससे खेलने ,उसके साथ जीने का अपराध स्वीकार करता हूँ | मेरे ख्याल से सही नीति वही है जिसमे अपने अलावा सब का भला होने की गुंजाईश हो |

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गुरुवार, 14 अक्टूबर 2010

काल्पनिक संवाद / अंश-अंश उपन्यास 7 up

८ - 
७ -  जब हम डंका बजा देते हैं तब हम प्रसिद्ध तो हो जाते हैं , पर हमारा काम लम्बे समय तक खिंच नहीं पाता |
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६ - मैं क्यों समझाऊँ ?  अक्ल आएगी तब स्वयं समझ जायेंगे |
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५ - अब गाँव  क्या  जाएँ ! वहाँ मेरा कोई सपना नहीं रहता |

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*४  - मैंने ईश्वर से पूछा - आखिर दुःख की कोई सीमा है जो तुम मुझे दे रहे  हो ?
उसने कहा - कोई सीमा नहीं है | जितना तुम दुःख से दुखी होते रहोगे उतना मैं उसे तुम्हे देता रहूँगा |
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      ३ -   *    न तुम समझ पाओगे न मै समझा पाऊंगा ..
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      २ -  *  कपडे बहुत मजबूत नहीं होने चाहिए . उन्हें फटने भी चाहिए जिसे सिलकर फिर पहना जा सके  .  जिससे  होली  दिवाली ,ईद  , दशहरा में नए कपडे बनवाने कि ललक बनी रहे और बनने पर ख़ुशी हो  . न बन सकने पर मलाल और नाराज़गी भी जिंदगी का हिस्सा हो  . .
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       १   *क्या करें !  कुछ भी तो बराबर नहीं हो सका मुझसे , न खेत -खलिहान , न सम्बन्ध |
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पत्र लिखना

Dear sir,
               Kindly add me on your bloggers' list and oblige.

        nagriknavneet.blogspot.com
                                                   email id   priyasampadak@gmail.com

thanking you ,
                                                    your's sincerely,

                                                                                       ugra nath nagrik
L-5/185 ,sector -L, Aliganj                               
                                                                                      gonzo-journalist & poet Lucknow226024 ( U.P.)


dear sir,
            you may kindly make up your mind through " pathak ki awaaz " via 
 
            nagriknavneet.blogspot.com               thanks,
                                                                                    U.N.Nagrik

हाइकु किताब [First], single line , 200 nos

१ - कितनी बार    /  टूटूं , कितनी बार  /    शादी बनाऊँ    |

२-      सब पराया    /     यह मत भूलो कि     /यहाँ से जाना    |

३-        आई नीड शी    /     म्युचुअल  व्यापार      /शी नीड्स मनी    |

४-       मान लीजिये     /   हम असंतुष्ट हैं    /     तो करें भी क्या    |

५-      पैसा जो है तो    /     बहाने भी बहुत     /    हैं   खर्चने   के     

६-     मर्द , मर्द  है     /     औरत भी औरत       /     है   इसलिए      | 

७-     नहीं भूलतीं     /        स्मृतियाँ पैठ जातीं      /      हैं   जो गहरे    .


८-          पिता - पुत्र में         /        कुछ तो अंतर है       /        दर पीढ़ियाँ     |


९-           दुनियादार          /       कितने भी हो जांय     /      मेरे रहेंगे        |


१० -      डॉक्टर है जो      /      सुई लगा ल्रता है       /      मेरे गाँव का     |


११ -      घर से बाहर      /        न निकला होता तो      /     क्या तुम्हें पाता     !


१२ -      कितनी शांत     /    सागर कि लहरें     /    चुप तूफ़ान     |


१३ -    प्रेम विपत्ति     /    किसी पर न पड़े     /    मैंने भुगता     |


१४ -    होशियार है     /    पता नहीं कौन है    /    बहुत ज्यादा     |


१५ -    किसी के लिए     /    जीना -मरना ,सुख     /    सबसे बड़ा     |


१६ -    आकर्षक है     /    खुरदुरापन भी     /    यदि उनका     |


१७ -    लगता तो है     /    देह और मन     /कुछ अलग     |


१८ -    सरल हुई     /    हत्या या आत्महत्त्या     /    तमाम दिन     |


१९ -    याद आती है     /    पुरानी घटनाएँ     /    बेमतलब     |


२० -   मैं  भी तन्वंगी   /  बन जाऊंगा कभी   /  [ झुका शारीर ]  /  


         लहरदार     /होना तो है मुझे भी    /   बुढ़ापा  आये      /


२१ -    कोई भी उम्र     /    कच्ची  नहीं होती है     /    कन्या के लिए       |


२२ -कभी न कभी     /    कहते कहते ही     /    तो कभी नहीं     |


२३ -    अप्रत्याशित     /    कुछ हो जाए , खुले     /    उनकी आँख     |


२४ -    याद करना     /    और बात है , ख्याल     /    करना और     |


२५ -    अब तो  कहीं      /    मन   नहीं  लगता     /    उचाट सा है      |


२६ -    बेटर देन      /    अ वूमन , हाउ बी      /    अ मैंन  कैन      |


              Better than / A woman , how be  /  Aman can  /|


२७ -    असबाब   से     /    मतलब  नहीं है     /    सबाब   से है     |

२८-     अच्छा होगा  तो     /    चाटकर  खाऊँगा     /    नहीं तो नहीं     |                                           


२९ -    फूल जो हैं तो     /    सड़   भी तो जाते हैं     /   पूजा के बाद     |


३० -    चक्कर चला     /    प्रेम -  दीवानगी  का     /    कोई   न  बचा      |


३१ -    मैं किसी का भी     /    कर्ज़दार  नहीं  हूँ     /    मर  सकूंगा     |


३२ -    हूँ  तो जरूर     /    जीने की  कोशिश में     /    शायद जियूं      |


३३ -    मैं किसी का भी     /    मृत्यु   के  समय   में     /    ऋणी   नहीं हूँ     |


३४ -    जानते  हुए     /    कोई किसी का नहीं     /    कोई हो जाता    |


३५ -    महत्वपूर्ण  है     /    हर एक आदमी     /    कोई न  एक     |


३६ -    जीना दुष्वार    /    औरत ने  जिंदगी     /    नर्क  कर  दी     |


३७ -    बनेंगे  हम     /    कितना होशियार     /    आख़िरकार     |


३८ -    प्रभु की माया     /    सब मजबूर हैं     /    उसके  आगे     |


३९ -    मित्र  बनाना     /    बहुत  मुश्किल है     /    इस काल में     |


४० -    किसी तरह     /    नौकरी  तो निभाई     /    जान  छुड़ाई     |


४१ -    परायापन      /    अजीब  सा  छा  गया     /   सबके  प्रति     |


४२ -    इतना  प्रौढ़     /    तो मैं   अभी नहीं हूँ     /     कि  तुम्हें  भूलूँ     |


४३ -    मेरा तन है     /    एक वतन , अब     /    तेरे  हवाले     |


४४ -कहाँ  जाओगे     /    बच्चों   को  छोड़कर     /    इस उम्र   में     |


४५ -    कुछ  भी कहो     /    दिल न लगा पाया     /    दुनियापा  से     |


 ४६ -    चोर चोर हैं     /    सब  मिले जुले हैं     /    मौसेरे भाई     |
४७ -    मौलिक बात    /     कभी नहीं कहता     /    मैं भूल से भी     |
४८ -    खाते समय     /     लिखने में दिक्कत     /    हाथ फंसा है     |
४९ -    सोच रहा था     /    मिल जाती जो वह     /    तो क्या करता     |
५० -    कोई गरीब     /    बेचारा नहीं होता     /    ध्यान रखना     |
५१ -    कोई सम्राट      /    सर्वशक्तिमान हो     /    ऐसा भी नहीं     |
* ५२ -   तमाम  लोग      /    मौलिक  चिन्तक  हैं     /    चिल्लाते  नहीं      | 
* ५३ -      वार  गया  था      /    तन - मन  - धन  से      /    तो  भी  ठूंठ     |
* ५४ -      सब  कमरे      /    ड्राईंग  रूम  हुए      /     मैं  कहाँ  रहूँ      |
* ५५ -     हम  पुरानी      /      ढोल  नहीं  बजाते       /     नया  कहते      |
* ५६ -     क्यों  बनें  हम      /     कोई  बड़ा  आदमी      /     छोटा  हूँ  भला    |
*५७ -     अकेलापन      /     मुझे  खाने  को  दौड़े      /     तुम  आ  जाओ     |
* ५८  -    सब  किसी  को      /     दिखावट  पसंद      /     दर्शन  प्यारा     |
* ५९ -    नाम  न  लीजे      /     ठोस  कुछ   न   होगा      /      सब  दिखावा      |
* ६० -    नवनीत  तो       /     शीर्षक  ज़रूर  है      /     है  यह   सम्पूर्ण     |
* ६१ -    कर्म  से  पूर्व      /     सोचना  पड़ता  है      /     क्या  हश्र  होगा     |
६२ -     मैं कभी कोई     /    ख़ास बात कहता     /    कभी भी नहीं     |
 ६३ -    मैं कभी कोई     /    ख़ास बात कहता     /    कभी भी नहीं     |
४ -    स्वास्थ्य भी कुछ     /    ठीक होना चाहिए     /    कर्म के लिए     |
६५ -    थोड़ा तो मूर्ख     /    हम हो सकते हैं     /    अधिक नहीं     |
६६ -    कर रहा हूँ     /    शून्य में विचरण     /    आनंदमग्न      |
६७ -      मिल   जाता  है     /     अब  संतोषसुख    /    लिख करके     |
६८ -    शांत भाव से     /    दुर्गम पथ  पार     /    तमाम किये     |
६९ -    कुछ रहेंगे     /    कुछ भर जायेंगे     /    जीवन - घाव     |
७० -     जनहित ही     /    डिमोक्रेसी  का अर्थ      /    होगा ही होगा     |
७१ -    उत्तेजना तो     /    क्षणिक होती ही है     /    बड़े काम की      |
७२ -    जग -हंसाई     /    किसी के भी आखिर     /    काम न आई     |
७३ -    और भी दर्द     /    हैं लिखने के लिए     /    सुनो छिछोरो     |
७४ -    आसान होतीं     /    चीज़ें  , उन्हें मुश्किल     /    हम बनाते     |
७५ -    माँ- बाप अब     /    बता नहीं सकते     /    वे कैसे मरे      |
७६ -    कहूं ,न कहूं     /    सोचता रह गया     /    कह न पाया     |
७७ -    शरीर भले     /    हो मांस का लोथड़ा     /    तो भी कीमती     |
७८ -    शरीर चाहे     /    हांड -मांस हो तो भी     /    महत्वपूर्ण     |
७९ -    लिखते नहीं     /    खिलवाड़ करते     /    शब्दों के संग     |
८० -    दोस्त बनोगे  ?    कितना मुश्किल है     /    यह पूछना     !
८१ -    सभी बनाते     अपनी -२  दुनिया     /    मैं भी बनाऊं     |
८२ -    अजीब नींद     /    साथ तमाम ख्याल     /    आते रहते     |
८३ -    इतनी ज़ल्दी     /    इतना बड़ा द्वंद्व     /    ख़त्म होगा क्या     |
८४ -    सुख में दोस्त     /    सुख-दुःख में माता     /    दुःख में पत्नी     |
८५ -    हर जगह     /    औरत की हालत     /    वही की वही     |
८६ - सच लगता     /    क्षिति - जल -पावक     /    गगन -वायु     |
८७ -    उठाया तूने     /    अँधेरे का फायदा     /    अँधेरा घिरा     |
८८ -    हासिल होगा     /    उनसे मिलकर     /    भला क्या हमें     |
८९ -    अति विवश     /    है पुरुष , औरत     /    मौज करती     |
९० -    संस्था तो चली      /    स्वतंत्र  जन नहीं     /    हैं तो न सही      |
९१ -    संस्कृत मरी     /    फास्ट फ़ूड हिंदी ने     /    उसको खाया     |
९२ -    रखना याद     /    आदमी की औलाद     /    ही तो हो तुम      |
९३ -    सब नक़ल     /    देखा - देखी ही होता     /    पुण्य या पाप     |
९४ -    यह भी सही     /    सोचोगे तो पाओगे     /    वह भी सही     |
९५ -    यह न होता     /    पता नहीं क्या होता     /    तब क्या होता     |
९६ -    बाल छोटे तो     /    बाप  का उपदेश     /    बेटे का शौक     |
९७ -    पूजा करना     /    सिखाते हैं माँ- बाप     /    बच्चे करते     |
९८ -    बच्चे करते     /        माँ- बाप का बताया     /    धर्म - पाखंड     |
९९ -    ज्ञान कहीं भी     /    पाया जा सकता है     /    किसी जगह     |
१०० -    मैन है तभी     /    तक सुपरमैन        /      का अस्तित्व है     |
१०१ -    भारतवर्ष     /    इंगलैंड का बाप     /    होगा शीघ्र ही     |
१०२ -    आँखें उनकी     /    इतनी बड़ी हैं कि    /    डर लगता     |
१०३ -    कम कमाओ     /    कम खाओ तो कहो     /    तुम धार्मिक     |
१०४ -    भविष्य वाणी     /    करने की आज़ादी     /    है तो उन्हें भी     |
१०५ -    लगता तो है     /    नज़र बदली है     /    कुछ उनकी     |
१०६ -    पत्रकारिता      /    सारी ज़िम्मेदारी न     /    लेती तो अच्छा     |
१०७ -    याद आएगा     /    दुनिया को अंततः     /    सेक्युलरिज्म     |
१०८ -    मुंह में लगा     /    खून छूटेगा नहीं     /    माओवादियों     !
१०९ -    जाने दीजिये     /    बच्चों का मामला है     /    सुलटा लेंगे     |
११० -    मौन ने मेरा     /    बड़ा साथ दिया है     /    बुरे दिनों में     |
१११ -    फूल तोडना     /    मना है  बागीचे में     /    बाहर जाओ     |
११२ -    पूर्ण विजय     /    किसी की नहीं होती     /    न पराजय     |
११३ -    नाक में दम     /    करते रहो  तुम     /    हिंदुस्तान के    |
११४ -    मरने तक     /    हम जीवित रहे     /    यही ईश्वर     |
११५ -    पैसा तो होती     /    बहुत बड़ी चीज़     /    इतनी बड़ी     |
११६ -    मैं बीमार हूँ    /    प्रेम एक बीमारी     /    होती अगर     |
११७ -    नागरिक हूँ     /    मैं आप की तरह     /     आप की भाँति     |
११८ -    जो मिल जाए     /    वही खाद्य पदार्थ     /    शेष  अखाद्य     |
११९ -    पा जाओगे तो     /    आनंद न आएगा     /    दूर से देखो     |
१२० -    बलात्कार में     /    भला क्या मज़ा आता     /    बेवकूफों को     |
१२१ -    पा जाओगे तो     /      खोना निश्चित जानो     /    रहो आनंद     |
१२२ -    भगवन तो     /    इंसान भरोसे है     /    तिस पर भी     |         
१२३ -      खीजना नहीं     /    गुस्सा आना चाहिए     /    क्रोध -आक्रोश     |
१२४ -    मर जाये तो    /    शोक नहीं  करना    /    पर मरे क्यों    ?
१२५ -    प्रश्न  यह है    /    कि सवाल ही क्या है    /    झगड़ा क्यों है    ?
१२६ -    विज्ञापन था    /    आई डोंट केयर    /     बट शी डिड    |
१२७ -    ट्रेडमार्क है    /    फटी बनियाइन    /    नागरिक का    |
१२८ -    सब करके    /    देख लिया कुछ भी    /बाक़ी नहीं है    |
१२९ -    गल्तियाँ  हुई    /क्योंकि मैं मनुष्य था    /    स्वाभाविक ही    |
१३० -    उद्देश्य जब    /    इंटरटेनमेंट    /    कुछ भी करो    |
१३१ -    तुम बहुत    /    सुंदर हो से हुआ    /मामला शुरू     |
१३२ -    अपनी दवा    /     अपने मन से की    /    ठीक हूँगा क्या   ?
१३३ -    आई  डू फील    /     आई फील सो मच   /     व्हेन यू से सो    |
१३४ -    वी आर आल    /    क्रिमिनल्स ऑफ़ द    /    सिचुएशन     |
१३५ -    सब ज़रूरी    /     सब काम ज़रूरी    /    जो कर पायें    |
१३६ -    न जिन्ना माने    /    न मीर वाएज़    /    मानने वाले    |
१३७ -    शाह गिलानी    /    भी नहीं मानेंगे, क्या   /   जिन्ना माने थे    ?
१३८ -    कर रहे थे     /    फिजूल की  बहस    /     कर रहे हैं    |
१३९ -    वफ़ा निभाना    /    संभव ही नहीं है    /     इस युग में
                                           बहुत मुश्किल है    /    वडा निभाना
                                           आग पर चलना   /    ज्यादा आसन    |
१४० -    निश्चय ही है    /     खाई बहुत बड़ी    /    मानना पड़ा   
                                           अमीर गरीब में    /    ज्यादा अंतर
                                           कैसे पट पायेगा    /    नहीं मालूम    |
१४१ -     मुझे लगता    /    दिमाग  है  तो सही    /     औरों पर भी
                                          केवल मेरे  पास     /     केन्द्रित नहीं 
                                         दिमाग और भी हैं   /   देखते रहो    |
१४२ -     कोई पूछता    /    कि   मैं क्या सोचता    /     मेरा जवाब ---
                                          कुछ नहीं सोचता       /कुछ सोचने
                                          की मुझे चाह नहीं    /    जो होना होता
                                         वह हो ही जाता है    /     फिर सोचने 
                                          न सोचने से मेरे    /    लाभ ही क्या है
                                        सोचने की मुझको    /   ज़रुरत क्या     !
१४३ -     हम खुद ही    /    मूर्ख हैं तो किसी को    /    क्या मुर्ख कहें    |
१४४ -    उन्नत भाल   /    दकियानूसी है या   /     बुद्धिमत्ता कि    |
१४५ -    वाह री  त्वचा    /    कितना क्रीम खाया    /    तो गोरी हुई    |
१४६ -     कुछ बातें तो    /    इनकार करो, कुछ    /     बातें मान लो    |
१४७ -    वह बैंक था    /    नीतू  ने  उसे घर   /    जैसा समझा    |
१४८ -    वहीँ कहीं है    /    मौत का उपादान    /    जांघों के  बीच    |
१४९  -     काम  देवता    /    मुझे न सता तू, जा      /     उनको सता   |
१५० -     कितनी मार    /    सहती है औरत    /    कई प्रकार    |
१५१ -    अपने दिन    /    हम कट रहे हैं    /    किसी तरह     |
१५२ -    सब जानते हैं    /    आप,   और मैं कुछ   /    नहीं जानता    |
१५३ -    विचारक अहिं    /    पार्टी के अध्यक्ष  जी    /    सबसे बड़े    |
१५४ -    सत्ता दल के    /    अध्यक्ष के आगे तो    /    प्लेटो क्या चीज़   ?
१५५ -    जानकारी भी    /    लुकी छिपी होती है    /    काम ज्ञान की    |
१५६   -    दुखदायी है     /    मोह का परिणाम    /    अवश्यम्भावी    |
१५७  -    शादी एक हो     /    सम्बन्ध अनेक  हों     /    खूब चलेगा     |
१५८ -    काटो तो खून    /    निकलता ही नहीं     /    ठगमारा हूँ     |
१५९ -    हे अत्याचारी     /    तुम जीते तो मैं भी     /    हारा नहीं हूँ     |
१६० -    राम भरोसे     /    भगवान भरोसे    /    दुनिया चले     |
१६१-     कहो आदमी     /    कविता है , मत कहो     /    कविता हुयी     |
१६२ -     बरसात में     /    नहीं जली माचिस     /    दिल तो जला     |
१६३ -     तुम्हारे हाथ   /  रौशनी का औज़ार [ की  ताकत = torch ]    / रोशनी [प्रकाश ] में मैं
१६४   -    तब तक तू     /    बातों से काम चला   /  फिर आता हूँ   /  करूंगा न तेरे लिए   /  कुछ न कुछ   |
 १६५ -    वह न होता   /  पता नहीं क्या होता   /  विज्ञानं होता   /  या कुछ न होता   /  जो होता , होता   |
१६६ -    खूब रुलाता     /    खुशी का अतिरेक     /    भी तो जानिये     |
१६७ - क्या फायदा है     /    मुड़ने और फिर     /    मुड़ जाने से     |
१६८ -     खुश नहीं हूँ     /    खुशी छीन रहा हूँ     /    जबरदस्ती     /  जालिम जीवन से     /    बल पूर्वक     |
१६९ -     प्यार करना ,    /    परवाह करना     /    फर्क बातें हैं     |
१७० -     मान्य तो कई    /    उनमे तुम श्रेष्ठ     /    मान्यवर हो     |
१७१ -      किसी प्रकार    /    गलत फहमी में     /    नहीं रहना     |
१७२ -     संपत्ति रहे     /    अपने पास , मुझे     /    पसंद नहीं     |
१७३ -     जब से लिया    /    किराए का मकान     /    बड़ा सुकून     |
१७४ -     नाम बड़े हैं     /    बैनर हों या ब्रांड     /    दर्शन थोड़े     |
१७५ -     ज्यादा नहीं तो     /    थोड़ा सा ही बदला     /    बदला तो है     |
१७६ -     पति या पत्नी     /    सब निभाते ही हैं     /    युग्म जीवन     |
१७७ -     किसी तरह     /    निकाला नौकरी को    /    पाला बच्चों को     |
१७८ -     कैसी भी होगी     /    विकत परिस्थिति     /    चलना होगा     |
१७९ -     सब ठीक है     /    ठीक कुछ भी नहीं     /    यही है हाल     |
१८० -     अन्दर कोई     /    ठोस तत्व हैं नहीं     /    ठहरें कैसे      /    ढुलमुलाते और     /    ठोकर खाते     |
१८१ -     न दिशा ज्ञान     /    न समय का पता    /    कहाँ पहुंचे     |
१८२ -     आखें खुली हों     /    कागज़ कलम हो     /    लिखता जाऊं     |
१८३ -     "नालायक हो "     /    मेरी प्रिय गाली है     /    सबके लिए     |
१८४  -    गाली स्वीकार       /    दुर्भावना रहित     /    मार मंजूर    |
१८५ -    पूरा आदर     /    देना चाहता हूँ मैं     /    अभिशापों को     |
१८६ -     शुद्धता  लाओ     /     अपने व्यवहारों में     /    पूजा न करो     |
१८७ -     नादान ! तुझे     कितना चाहिए बे     /    इस दुनिया से     |
१८८ -     मुझे कभी भी     /    संदेह नहीं रहा     /    मेरी  बातों में     |
१८९  -     गलत नहीं     /    अपनों से मांगना     /    लेना या देना     |
१९० -     घृणा  पोषित     /    दलित आन्दोलन     /    महिला मुक्ति    |
१९१ -    महापुरुष     /    महानता  पाते हैं     /    सोच कर्म से    |
१९२ -     पीट रहे हैं     /    मूर्खता का धिन्धोरा     /    सारे ही नेता     |
१९३ -     ज्ञानी  हो जाते     /    आजकल के बच्चे     /    पैदा होते ही     |
१९४ -     वर्चस्व होगा     /    किसी न किसी का तो     /    स्त्री या पुरुष     |
१९५ -     किसी का नहीं    /    मैं हो सका सिवाय     /      सत्य - न्याय के     |
१९६ -    घूम लीजिये     /    पहुंचना वहीं है     /    जहाँ से चले     |
१९७ -     गिरता जाता     /    तत्ती करते जाते     /    ट्रेन में लोग     |
१९८ -     हंटिंग गर्ल्स      / इज एडवेंचर !     /    नो ,डियर नो     |
              [ hunting girls     /    is adventure  !   /   no , dear no   ]
१९९ -     प्रोफेसनल हैं     /    चाहे जो पेशा करें     /    वेश्यावृत्ति भी    |
२०० -     शायद आप    /     ध्यान न दें , लेकिन     /    मैं कहता हूँ     |
============= THE END
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कथा विचार बिंदु


४ -                      झलकियों में जिंदगी
विकेंद्रीकरण के चक्कर में केंद्र सरकार भी विकेन्द्रित होते -होते गाँव की एक पंचायत सी होकर रह गयी है | चर्चा केवल गाँव के विकास की है | उसी के श्रेय के बल पर प्रदेश में सरकारें बन रही हैं [बिहार , गुजरात ] | केंद्र का भी आधार वही होगा | कह सकते हैं ,इसमें आपत्ति जनक क्या है ? लेकिन ,पंचायत पंचायत है ,तो केंद्र को कुछ केंद्र होना चाहिए | फिर जब ७३ वें संशोधन से गाँव का ज़िम्मा गाँव का है तो उसमे केंद्र सरकार इतना चक्कर में क्यों पड़े ? देखिये ,इस से नुक्सान यह हो रहा है की केंद्र ओनी जिम्मेदारियां नहीं निभा रहा है ठीक से | राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय महत्वपूर्ण मसलों पर उसका गंभीर ध्यान नहीं है | और देश तो अपनी पंचायतों के विकास  में डूबा हुआ है, नरेगा के भ्रष्टाचार में  | उसे देश की बातों से कोई लेना -देना नहीं है  | 

-हंसी

एक  दोस्त  बड़ा  उदास  दिख  रहा  था  .

 दूसरे  ने  पूछा  –क्या  बात  है  भाई  ?

--क्या   बताऊँ  बहुत  दिनों  से   मुझे  हँसी  आ  ही  नहीं  रही  है  |

दूसरे   ने  तजवीज़  बतायी  – किसी  अख़बार  में  या  वेब  पर  जाकर  किसी  उलूम  का  कोई  फतवा  क्यों  नहीं  पढ़  लेते  !
फिर  भी न आये तो खाप पंचायत का फैसला सुन लो 
===========================================10-12-2010 
२ -कथा बिंदु ,
संवाद      *   यू आर ब्यूटीफुल  ,किम |.
                                          = तो क्या मुझसे शादी करोगे ?
                                     *  मैं सुन्दरता को  क़ैद  करने के पक्ष में नहीं हूँ   |
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 -    -   आप क्या काम करते है ,भाई साहब ?
                  =   मै सांसद  हूँ   |
                   -    अच्छा है |  अब तो वेतन - भत्ते भी अच्छे हो गए है |
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