* स्त्री की स्वतंत्रता का असली मतलब है , उसका उसके शरीर
पर अधिकार | इसलिए मैं अनामिका [ कवियत्री ] की इस प्रस्थापना को , कम से कम अपने
लिए , फाइनल मानता हूँ कि प्रणय प्रस्ताव का अधिकार केवल स्त्री को होना
चाहिए | सचमुच जबसे मैं इसका पालन कर
रहा हूँ , अपने अन्दर एक नयी मानुषिक सभ्यता का अहसास करने लगा हूँ | प्रणय कर्म में
पुरुष का पहल बलात्कार ही होगा , यह तय है , और इसे आसानी से समझा जा सकता है |
* उमा भारती जी पूरे सेसन सदन में उपस्थित नहीं हुयीं , क्योंकि उनके
ऊपर ऐसा कोई बंधन / प्रतिबन्ध नहीं है | इसीलिये मैं कहता हूँ कि
चुनाव आयोग को इनका मानिटर होना चाहिए | कितने दिन इन्होने सभा
अटेंड की ? नहीं की तो वेतन कटना चाहिए | इनके वेतन भत्ते तय करने अधिकार इन्हें स्वयं नहीं आयोग को होना
चाहिए | इमके कारगुजारियों की वार्षिक रिपोर्ट , संपत्ति विवरण
सहित आयोग को प्रकाशित करना चाहिए | चुनाव जीत लेने के बाद
ये स्वच्छंद न रहने
पायें , इसकी व्यवस्था तो करनी पड़ेगी , वरना आज़ादी का सारा मतलब
ये अपने ही हित में भुना लेंगे |
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