गुरुवार, 28 जून 2012

पन्ने मुड़े हैं


[ हाइकु ]

१ - डोंट ' सी मोर '  [ Dont See  More ]
जितना दिखे पढ़ो  [ Read What it shows ]
लाइक करो  |         [ Like it ]    

२ -क्या सिखाओगे
सीखना न चाहें जो
हम कुछ भी !

३ - बस आ जाएँ
प्रिये जो एक बार
ज़िन्दगी पार |

४ - बुद्धि में बातें
आतीं कहाँ कहाँ से
अबूझ प्रश्न |

५ - दोस्ती निभाती
तो दुश्मनी भी खूब
देती ज़िन्दगी |

६ - पन्ने मुड़े हैं
तमाम किताबों के
आदमी सोया |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें