शुक्रवार, 22 जून 2012

डी एन ए टेस्ट


[ gon -zo ]

हाइकु=
* तन से सब
मन से कुछ नहीं
मानता हूँ मैं |

* न गर्मी ठीक
कोई मौसम नहीं
न जाड़ा ठीक |

* विशालता से
कम कुछ भी  नहीं
चाहिए मुझे |

कविता =

* हाँ यार ,
लिखना तो चाहिए ऐसा
की दुनिया हिल जाए
पूँजीवाद धूल में मिल जाए
सरकारें धराशायी हो जाएँ
जनवाद का बोलबाला ,
साम्राज्य स्थापित हो जाए |
हाँ यार '
लिखता तो हूँ ऐसा
की कोई पुरस्कार मिल जाए |
##

टीप = डी एन ए टेस्ट
* एक उदाहरण याद है अभिनेत्री नीना गुप्ता का | उन्होंने स्वयं अपनी मर्जी से संतान - प्राप्ति की , और पुरुष का नाम नहीं बताया | उनके अनुसार यह पर्याप्त था कि वह उसकी माँ है , उसने अपनी ज़िम्मेदारी पर बच्चा पैदा किया है , इसमें किसी पुरुष - बाप के नाम की ज़रुरत क्या है ? वह ही माँ -बाप हैं | यह अतीव साहस का काम था |
दूसरा उदाहरण पौराणिक है | बिना बाप के नाम के पुत्र सत्यकाम और उसकी माँ का | लोक - उलाहनों से प्रेरित सत्यकाम ने अपनी माँ से पूछा - माँ , मेरे पिता कौन हैं ? साहसी और सत्यवादी  माता ने दृढ़तापूर्वक  कहा - " बेटे मैं कई ऋषियों की सेवा में रही , तू किसका पुत्र है , मैं बता नहीं सकती ?" यही बालक सत्यकाम सत्यवाद का महान नायक बना , और पुराण पुरुष | प्राच्य विज्ञानं का गुण गाने वाले भले कहते रहें कि उस ज़माने में पुष्पक विमान था , यह था -वह था , लेकिन निश्चय ही उस काल - अवधि तक डी एन ए टेस्ट की जानकारी विज्ञानं को नहीं थी | और यह भी कि हर औरत नीना गुप्ता और सत्यकाम की माँ नहीं हो सकती |

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