[ विचारणीय ]
१ - राजनीति तुलनात्मक प्रतियोगिता का खेल है - समय सापेक्ष | इसमें निरपेक्ष और शाश्वत कुछ नहीं |
२ - हालत यह हो गयी है कि अब तो धर्म के बगैर धर्मनिरपेक्ष [ secular ] भी नहीं हुआ जा सकता !
३ - ठीक बात है , जिसको राज्य करना हो वह मांस - मछली खाए , बन्दूक चलाये , हिंसा करे | हम तो चींटी भी नहीं मारते |
४ - जिसकी तरक्की रोकनी हो ,आगे न बढ़ने देना हो , उसे राष्ट्रीयता का वास्ता देकर उकसा दो कि वह मात्र अपनी मातृभाषा में पढ़े और अंग्रेज़ी से नफ़रत करे |
५ - सच तो ज़रूर बोलते हैं हम , बीएस उन कुछ स्थितियों को छोड़कर जहाँ हमें अपनी कमजोरी या मजबूरी स्वीकार करनी होती है |
६ - अल्लाह सिर्फ ईश्वर का नाम नहीं , किसी उच्चतम जीवन लक्ष्य और सम्बल-आश्रय का भी तो नाम है !
७ - एक कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी - कर्मचारी का मुकाबला बड़े से बड़ा नेता, साधु संत भी नहीं कर सकता |
८ - अंग्रेज़ी राज्य इससे बेहतर था , यह कहना ठीक नहीं है | बल्कि गुलामी की दशा में यह देश स्वयं ही ठीक रहता है , ऐसा कहना ज्यादा सही है |
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