मंगलवार, 26 जून 2012

शोकसभा

मुझे लगता है कि मेरे शरीर को कुछ होने वाला है | बहुत दिनों से मित्रों से कह रहा हूँ कि मेरी obituary [शोक सन्देश] लिख डालो | बहुत ' प्रिय ' संपादन किया है तो उसका भी प्रूफ देख दूँ , कोई व्याकरणीय चूक सुधार दूँ , कहीं कोई गलती न रह जाय | भाषा-शैली का पूर्व-रसास्वादन कर लूँ |  | और इस बहाने आश्वस्त भी हो लूँ कि हाँ मेरे लिए भी शोकसभा संभावित है , जैसा कि मैं तमाम शोक सभाओं में मैं भी तो जाता रहता हूँ | पर कोई लिखता ही नहीं, जब कि लिखना सब जानते हैं |अच्छे भले बड़े कवि- लेखक -पत्रकार हैं | अब इसके लिए कोई ज़बरदस्ती तो की नहीं जा सकती, वरना ये लिख देंगे कि वह [मैं] बहुत अशिष्ट - निकृष्ट आदमी था | इसलिए मेरा ऐसे ही सूखे-सूखे  चला जाना मेरे लिए श्रेय होगा | तथापि  सोचता हूँ कि स्वयं ही इस सम्बन्ध में कुछ कवितायेँ प्रस्तुत कर दूँ और संतुष्ट हो लूँ !
* एक सही
  वर्तनी हो तुम ,
  प्रूफ की
  तमाम गलतियाँ हूँ मैं |
* अभी कितनी घृणा कर लो मुझसे
  छीन ही लूँगा मैं तुमसे
  दो मिनट का मौन
  अपनी मृत्यु के पश्चात् |
* मैं मरूँगा नहीं
  मैं अपनी माँ के पास जाउँगा
  पीछे से चुपचाप उसका
  आँचल पकड़ लूँगा ,
  वह चौंक कर  देखेगी
  और मुझे अपने गले लगा लेगी |

* नागरिक
  कुछ कह गया
  कुछ कर गया ,
  एक अच्छा आदमी था
  मर गया |
* अब वासांसि जीर्णानि
  तो मैं लिखने से रहा ,
   मेरे जीर्ण वस्त्र होंगे
  मेरे मित्र ,
   शीर्ण होंगे मुझे
  पढ़ने वाले |

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