मुझे लगता है कि मेरे शरीर को कुछ होने वाला है | बहुत दिनों से मित्रों से कह रहा हूँ कि मेरी obituary [शोक सन्देश] लिख डालो | बहुत ' प्रिय ' संपादन किया है तो उसका भी प्रूफ देख दूँ , कोई व्याकरणीय चूक सुधार दूँ , कहीं कोई गलती न रह जाय | भाषा-शैली का पूर्व-रसास्वादन कर लूँ | | और इस बहाने आश्वस्त भी हो लूँ कि हाँ मेरे लिए भी शोकसभा संभावित है , जैसा कि मैं तमाम शोक सभाओं में मैं भी तो जाता रहता हूँ | पर कोई लिखता ही नहीं, जब कि लिखना सब जानते हैं |अच्छे भले बड़े कवि- लेखक -पत्रकार हैं | अब इसके लिए कोई ज़बरदस्ती तो की नहीं जा सकती, वरना ये लिख देंगे कि वह [मैं] बहुत अशिष्ट - निकृष्ट आदमी था | इसलिए मेरा ऐसे ही सूखे-सूखे चला जाना मेरे लिए श्रेय होगा | तथापि सोचता हूँ कि स्वयं ही इस सम्बन्ध में कुछ कवितायेँ प्रस्तुत कर दूँ और संतुष्ट हो लूँ !
* एक सही
वर्तनी हो तुम ,
प्रूफ की
तमाम गलतियाँ हूँ मैं |
* अभी कितनी घृणा कर लो मुझसे
छीन ही लूँगा मैं तुमसे
दो मिनट का मौन
अपनी मृत्यु के पश्चात् |
* मैं मरूँगा नहीं
मैं अपनी माँ के पास जाउँगा
पीछे से चुपचाप उसका
आँचल पकड़ लूँगा ,
वह चौंक कर देखेगी
और मुझे अपने गले लगा लेगी |
* नागरिक
कुछ कह गया
कुछ कर गया ,
एक अच्छा आदमी था
मर गया |
* अब वासांसि जीर्णानि
तो मैं लिखने से रहा ,
मेरे जीर्ण वस्त्र होंगे
मेरे मित्र ,
शीर्ण होंगे मुझे
पढ़ने वाले |
* एक सही
वर्तनी हो तुम ,
प्रूफ की
तमाम गलतियाँ हूँ मैं |
* अभी कितनी घृणा कर लो मुझसे
छीन ही लूँगा मैं तुमसे
दो मिनट का मौन
अपनी मृत्यु के पश्चात् |
* मैं मरूँगा नहीं
मैं अपनी माँ के पास जाउँगा
पीछे से चुपचाप उसका
आँचल पकड़ लूँगा ,
वह चौंक कर देखेगी
और मुझे अपने गले लगा लेगी |
* नागरिक
कुछ कह गया
कुछ कर गया ,
एक अच्छा आदमी था
मर गया |
* अब वासांसि जीर्णानि
तो मैं लिखने से रहा ,
मेरे जीर्ण वस्त्र होंगे
मेरे मित्र ,
शीर्ण होंगे मुझे
पढ़ने वाले |
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