बुधवार, 6 जून 2012

सामूहिक

[कविता] = सामूहिक
सामूहिक बलात्कार !
सामूहिक भ्रष्टाचार ,
सामूहिक  स्वीकार ,
सामूहिक शवदाह [mass  burial ]
क्या यही है नियति
मनुष्य की सामूहिकता की ?
सामूहिक आत्मदाह ,
सामूहिक आत्महत्या ,
सामूहिक सर्वनाश ?

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