[कविता ]
मैं खुद एक दूरी
बना लेता हूँ
ऊंचे पेंड़ों से
मसलन खजूर से
युक्लिप्टस - बरगद से ,
जिससे मैं उनका
शीर्ष देख सकूँ,
और नाप सकूँ उनकी ऊँचाई
दूरी के हिसाब से
गणित लगाकर |
दूरी शून्य होगी तो
पेंड़ मुझे अपनी ज़द में ले लेगा
मैं संज्ञाशून्य हो जाऊंगा -
नहीं जान पाउँगा
पेंड़ कितना ऊँचा है
या कितना ठिगना ,
पेंड़ जितना ऊँचा
उतना ही उससे दूर
जाना पड़ता है मुझे |
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