मुझे आसमानी / Transcedental किताबों, ईश्वरों, देवदूतों, शिक्षाओं के बारे में कुछ नहीं कहना ।
उसी क्रम में मैं यह जोड़ना, बात आगे बढ़ाना चाहता हूँ कि मनुष्य, नर नारी भी तो आसमानी इयत्ताएँ, Identities हैं बिल्कुल material और चेतन भी ?
और ये लोग भी तो जीवंत, बोलते बतियाते, कुछ कहते सुनते हैं ?
तो ये लोग भी तो आसमानी हैं ? इनकी बात भी सुनी, विवेकानुसार मानी जानी चाहिए ?
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