बुधवार, 22 अप्रैल 2020

आय वर्ग

जात पात कुछ नहीं है । कोई अपनी जाति लेकर हरवक्त उसे चाटता नहीं है । फिर, जो रोग सर्वत्र, सबकी खोपड़ी में व्याप्त हो, वह महत्वहीन हो जाती है । सार्वजनिक होकर अपना महत्व खो देती है । "अरे यह किसी न किसी जाति का होगा ही", यह ज्ञान और भावना जातिवाद का असर समाप्त कर देती है । हाँ, जातिवादी लोग इसका कभी कोई खास इस्तेमाल करने के लिए अपनी जेब से निकाल लेते हैं । जैसे वोट फोट माँगते समय ।
वरना सच बात तो यह है, ज़मीनी हक़ीक़त यह है कि आदमी अपने आय वर्ग से पहचाना है । खानसामा को पंडितजी कहकर बुला भले लें, उसकी इज़्ज़त उतनी ही है जितनी घर में झाड़ू पोंछा करने वाले की ।
सत्य से मुँह न मोड़ो, न हवा में रहो । फ़र्क़ कम ज़्यादा आमदनी वाले के बीच है । आप चाहे कम्युनिस्ट बनो या बनो, आप जानो , लेकिन बराबरी के लिए संघर्ष का और कोई रास्ता नहीं हॉ ।
- - उग्रता @ श्रावस्ती

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