तरीका है क्यों नहीं सत्ता को पकड़ने का ! इन्हीं सत्ताधिकारियों के माध्यम से सत्ता संभालने का !
ये लोग कुछ भी करें, एक शब्द भी बोलें, सही लगे तो वाह वाह बोलें । लेकिन यदि गलत लगे तो मधुमक्खी की तरह छेंक लें , लानत फेंकें, शर्म शर्म के नारे लगाएँ और हूट करें ।
मानो हम मुशायरे में शामिल हों । सुनी कैसे नहीं जायगी हमारी बात ? इसी बहाने उन्ही के माध्यम से हम सत्ता में होंगे । 👍
हीन भाव लाने की ज़रूरत नहीं । यही देखें सांसद विधायक की ही क्या हैसियत होती है सत्ताधारी पार्टी में ? मंत्रियों तक की तो होती नहीं । फिर तो उतनी सत्ता पर हमारा अंकुश पर्याप्त है राजनीति के लिए । 👌
उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
बुधवार, 1 अप्रैल 2020
मुशायरे में हम
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