विश्वास और अंधविश्वास में फ़र्क़ करने का एक तरीका समझ में आया है अभी । यह सोच मुझे नास्तिक और सेक्युलर के बीच अंतर से समझ में आया ।
जानकार कहते हैं राज्य को सेक्युलर होना चाहिए । व्यक्ति सेक्युलर नहीं होता । वह नास्तिक होता है । राज्य नास्तिक नहीं होता ।
बस यही सूत्र मैंने पकड़ ली । व्यक्ति विश्वासी होता है । लेकिन विश्वास यदि सत्तासीन, यानी राज्य को प्राप्त हो जाय तो राज्य अंधविश्वासी हो जाता है । यूँ भी समझें जैसे कि सत्ता पाहि राज्य मद माँहि अंधा हो जाता है ।
व्यक्ति का विश्वास ताक़तवर नहीं, इसलिए खतरनाक नहीं होता । वह केवल व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है । लेकिन राज्य का अंधविश्वास बरबादी ला सकता है । कहर तो ढाता ही है ।
उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
शनिवार, 4 अप्रैल 2020
विश्वास और अंधविश्वास
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