गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

मुल्ला सेकुलर

सेकुलर मुल्ला
सेकुलरों के ऊपर आपको एक आरोप का फेनामेना आपको याद है ? जो हिन्दू अतिरेक के विरुद्ध बोले और मुस्लिम को तंग करने की नीति की आलोचना करे उसे मुल्ला की संज्ञा दी दी जाती थी । चिढ़ाया जाता था, खिल्ली उड़ाई जाती थी , एक तरह से अपमानित करने के भाव से । मुलायम सिंह यादव मुल्ला मुलायम प्रसिद्ध हुए । और हम बाबरी विनष्टि के विरोधी भी खूब छींटें खाये । यह क्रम अभी भी रुका नहीं है ।
यहाँ तक कि छद्म विश्व बंधुत्व वाले संघ की छतरी तले विदेशी अवधारणा , सेक्युलरवाद का देसी भारतीय version, परिभाषा ही हो गया - हिन्दू विरोध मुस्लिम तुष्टीकरण ।
कितना भी हमने किया मुस्लिम ताड़न की उनकी मंशा न गयी और अब तो - सत्ता पाई काहि मद नाहीं हो गया । बल्कि इसमें 5000 सालों पुराना राष्ट्रीय सांस्कृतिक दम्भ भी जुड़कर सेक्युलरिज़्म के लोकतांत्रिक, न्यायमूलक अवधारणा को सफ़लतापूर्वक रौंदने लगा ।
ऐसे में मस्तिष्क में एक बदमाश चिंतन आता है । जब आरोप है ही, और वह आरोप माथे पर रहना ही है, तो उसे अपना आई कार्ड, अपना बैज क्यों न बना लें ?
एक ऐसा ग्रुप जो घोषित रूप से मुस्लिम समर्थक हो ?
मतलब उसका नाम ही हो - " मुस्लिम समर्थक सेक्युलर संघ" !👍
अब न्याय के लिए राजनीति का तकाज़ा तो यही है, पूरा हो या नहीं । पूरा हो या नहीं लेकिन राममंदिर भव्य बनेगा । रामायण महाभारत चलेगा, scientific temper का मटियामेट किया जायेगा । फिर मुसलमान से पूछा जायगा तुम नमाज़ क्यों पढ़ते हो, जलसा क्यों करते हो ?
क्या इस दोहरे चरित्र को तोड़ना स्वतंत्रता की देवी के पुजारियों का कार्यभार नहीं बनता ?👍

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