शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

किसलिए खड़े

कविता
ठेले वाले घूम रहे हैं
कोई खरीदार मिल जाए
रिक्शा वाले चक्कर लगा रहे हैं
थ्री व्हीलर दौड़ रहे हैं
कोई सवारी मिल जाय
लेखक कवि परेशान हैं
कोई श्रोता ,
कोई पाठक मिल जाय
टी वी , अख़बार वाले ---
--समाचार मिल जाय ,
दिहाड़ी मजदूर
चौराहों पर खड़े --
कोई काम मिल जाय |
भला हम --
किसलिए खड़े हैं  ?
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