२९ -
२८ -जब बूढ़ा पेंसन पाता है तब बेटा उसे खर्चा क्यों दे ?
२७ - प्रेम ही नहीं
मुझसे घृणा भी
सुबूत है कि
आप मेरे हैं |
१ - हम बहस में
नहीं पड़ते
हम निर्णय करते हैं
और चल देते हैं |
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२ - चुटकी बजाते ही
हम कुछ कर लेते ,
चलो चुटकियाँ बजाएं |
===
३ - अपनी सीमा समझ
मेरे पास आ
मेरे घेरे में
"आ ' जद ' में आ "
आज़ादी कहती |
===
४ - कोई ऐसा विषय बताओ
जिस पर मैंने
कविता न की हो ,
तो उसकी
समस्या पूर्ति करूँ |
===
५ - मैं कोई पदचिन्ह नहीं छोड़ता
छोडूंगा तो तुम
उस पर चलने लगोगे ,
अपने पैरों पर चलो |
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६ -कहने से
पूरी नहीं होती
हर बात
चुप होना पड़ता है |
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७ - अभी बहुत अच्छा है
बहुत हल्का हूँ मैं
मेरे शव को मेरा एक पुत्र
एक पुत्री मिलकर
कब्र में डाल सकते हैं |
लेकिन यदि
ज्यादा मान -सम्मान ,
प्रतिष्ठा -पुरस्कार का भार
तमगों का बोझ
अपनी देह पर लादूंगा
तो मेरे परिजनों को
अतिरिक्त मजदूर लगाने पड़ेंगे
मेरी लाश को कब्र में
आहिस्ता उतारने के लिए |
मौके से कहीं मजदूर न मिले
तो कब्र में मजबूरन मुझे
धक्का देकर डालेंगे
और मेरे शरीर को कष्ट होगा |
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८ - बहुत अच्छा , आप
खूब सुंदर तो लिख लेते हैं ,
मेरे जैसा टेढ़ा - मेढ़ा
लिखिए तो जानूं !
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९ - हम अजब संकट में हैं
हम जिसको प्यार करते हैं
वह अपने कुत्ते को
प्यार करती है /
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१० - राजा से पूछो
वह टोपियाँ सिलना
जानता है या नहीं !
[or औरंगजेब को याद करो ,
और फिर अपने मंत्री ,
मुख्य मंत्री - प्रधान मंत्री से पूछो -
उसे टोपियाँ सिलनी
आती हैं या नहीं ? ]
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११ - हम उस दौड़ में नहीं हैं
जिसमे तुम हमें
असफल समझते हो /
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१२ - सोच रहा हूँ अभी
लिखने के बारे में
सीख रहा हूँ अभी लिखना
मेरे लेखक बनने की
संभावना नहीं है /
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१३ - १५ -अगस्त
सोच रहा हूँ मुझे
कैसे मनाना चाहिए १५ अगस्त
आम आदमी की तरह
यह दिन भी " आया -गया हो गया " जैसा ,
या विशिष्ट बुद्धिजीवी की तरह -
"हाय -हाय क्या हो गया है लोकतंत्र को
इतनी समस्याएं आ गयी हैं
आज़ादी के बाद
कि कलम सूख गयी लिखते -लिखते
गला बैठ गया चिल्लाते - चिल्लाते
आँखें धंस गयीं मोटी -मोटी
किताबें पढ़कर " |
मैं विधान सभा की झांकी
देखने निकल पड़ा , और
रात भर रिक्शे वालों , मजदूरों '
के साथ वहीँ जी पी ओं
पार्क में पड़ा रहा |
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१४ -जंगल का मज़ा
इसी में है कि
शेर , शेर रहे
बकरी , बकरी रहे |
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१५ - क्या करें
उसे न आने दें
जो पैदा होना चाहता ?
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१६ - सोचता हूँ कहीं
भ्रूण हत्या न हो जाये
ईश्वर की
जो पैदा होना चाहता है !
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१७ - खुद थूको चाँद पर
और जब थूक
तुम्हारे ऊपर गिरे
तो तुम कह सकते हो
देखो मैं कितना बड़ा आदमी हूँ |
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१८ - कोई सफ़र
होता नहीं
कुछ पैदल
चले बिना |
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१९ - इजाज़त किसी को
नहीं है , लेकिन
इजाज़त मांगता
कौन है ! [ambiguous ]
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२० - आकर्षक पहाड़
आकर्षक
उन्नत उरोज |
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२१ - वह करेगा
अपने मन की
करते रहो
पूजा - पाठ |
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२२ - ईश्वर है तो
उसका कोई
मतलब भी
होना चाहिए
या यूँ ही
जपे जायेंगे
माला , बजाये
जायेंगे ढपली !
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२३ - चिंता छोडो
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ज्यादा चिंता न करो भाई
बस अपनी रोटी और रोज़ी
का इंतजाम करो
और शान्ति से रहो |
रोटी के साथ शान्ति ही जोड़ो
रोटी के साथ कमल मत जोड़ो |
यह कमल- वमल का खेल
राजा - रानियों का है
और तुम राजा - रानी नहीं हो |
जो तुम्हें कमल का वास्ता देते हैं ,
समझ लो वे राजा के आदमी हैं
तुम्हे राजा की
लिप्सा में शामिल कर
वे तुम्हे मरवाना चाहते हैं
और राजा का राज्य
स्थापित करना चाहते हैं |
वरना भला कमल
तुम्हारे किस काम का |
शान्ति से काम लो और
रोटी का इंतजाम करो ,बस !
अपना जीवन सत्ता के खेल में मत गंवाओ |
लोकतंत्र के भ्रम में मत पड़ो
यह कभी नहीं होता , कभी नहीं होगा
बहुत शौक हो तो नेताओं के
चक्कर में पड़कर देख लो
आता - डाल का भाव
मालूम पड़ जायगा |
इसलिए , केवल आता डाल देखो
और कायम रखो
अपने तन मन की शान्ति
अमन और चैन |
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२४ - कोई किस्सा
केवल आपका नहीं है
वह सबका है |
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२५ - कुछ डाक्टरों की पर्चियां
कुछ दवाओं की रसीदें
जांच की रपटें तमाम
मिलीं उसके बैग से
उसके मर जाने के बाद |
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२६ - मेरा प्रश्न है -
मुझे कविता
लिखनी ही
क्यों पड़ती है ?
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~!@#$%^&*()_+ THE END [ read 27 pre 1 ]
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