रविवार, 12 दिसंबर 2010

जिले का जमाई

[कथासंभव]
जिले  का जमाई
============ एक व्यक्ति अपनी पत्नी को  तलाक देना चाहता था | लेकिन उसने सोचा की पहले इसका काल्पनिक परीक्षण कर ले | वह अगला हफ्ता इस प्रकार जिए मनो उसका पत्नी से कोई सम्बन्ध नहीं है |
उसने ऐसा ही किया | पत्नी से कोई सम्बन्ध  नहीं रखा | पत्नी भी चुप रही | उसने समझा की वह सफल हो रहा है | वह तलाक दे सकता है |
   अगले दिन एक फोन आया - फूफा जी, अम्मा को फालिज का अटैक पड़ा है |
पत्नी को लेकर फ़ौरन वहां जाना पड़ा |
फिर सरहज की खबर आई कि उनके पिछवाड़े की ज़मीन पर किसी ने कब्ज़ा कर लिया है |
फिर बड़े साले का इसरार - आकर बिटिया की शादी तय करा दो |
पूरे सहालग ससुराल के जिले भर से न्योतों की भरमार रही |
उस नाई ने , जिसने उनका विवाह कराया था , अपने पुत्र को मेरे साथ कर दिया - इसे शहर में एक गुमटी करवा दीजिये |
पंडित जी ने लड़के के लिए रेलवे सर्विस कमीशन का फार्म भेजने का अनुरोध किया |
साढ़ू की लड़की का बगलोर में सेलेक्शन हो गया - मौसा जी हम को लेकर ज्वाइन करा आईये |
जवार के मरीज़ हमारे शहर में डाक्टरों को दिखाने आये |
गाँव भर के विद्यार्थी कम्पयूटर सीखने आने लगे |
वह व्यक्ति बड़े असमंजस में पड़ गया | किसको किसको  तलाक दे ? विवाह केवल पत्नी से हुवा होता तो वह उसे छोड़ भी देता | अब ससुराल के  पूरे गाँव , जवार , जिले को कैसे छोड़े ?
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