बुधवार, 29 दिसंबर 2010

Do kavitayen

१ - ईश्वर के होने
और ईश्वर के
न होने के बीच भी
आदमी को तो
होना ही चाहिए |
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२ - शम्बूक ही नहीं
हर कोई मारा जायेगा
जो ब्राह्मण का काम करेगा
पाँच हजार साल पहले या
दो हजार पचास में |

एकलव्य भी
ब्राह्मणवाद से ग्रस्त था
जब गुरुदक्षिणा
देने को आतुर था
तो अंगूठा दे दिया
स्वयं काट कर |
गुरु ने उसका अंगूठा
नहीं काटा था
उन्होंने माँगा भर था ,
पर मांगना तो
उनका काम ही था
ब्राह्मण को धन
केवल भिक्षा |
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