गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

हाइकु भंडार [Three], 3 lines , 400 nos

१ संतोष धन   
है न मेरे पास, मैं
गरीब नहीं
२ मरना चाहूँ 
कोई क्या कर लेगा 
करे रिपोर्ट
३ फँसाता गया 
बाज़ार का चंगुल
नई पीढी को
४ अगन हो या
लगन हो तो बोलो 
आऊं मैं साथ
५ किससे करें 
कोई आदमी है क्या
दोस्ती  लायक 
६ जो मूर्खता की
पराकाष्ठा हो जाये
कोई क्या करे?
७ सत्ता की रान
 पर बैठ- चलाते
हुक्मरान   
८ एक जींस में
एक पूरी जिंदगी 
पार तो पार
९ अपने 'व्यक्ति'  से 
छुटकारा मिले 
तब न उठें!
१० सच में वह 
इतनी सुंदर थी
कि पूछो मत
११ गलती उनसे 
हुई तो क्या मुझे भी
दुःख नहीं क्या  ?
१२ सुंदर हो तो 
दिखो और दिखाओ
नहीं तो नहीं
१३ सभी तो हिन्दू
माथे पर सिंदूर है 
जनाना है क्या?
१४ द्विज- अछूत
गये दिन की बातें
अब तो नहीं
१५ लगाया मैंने 
स्वयम बबूल पेड़ 
तो फल खाऊँ  ?
१६ कभी कभी तो
आ ही जाती लालच
दुःख की बात
१७ बेंगलुरु में
एम् जी  मार्ग नहीं 
वहां रोड है
१८ सुनते और
सुनते रह जाते
बच्चों की बातें
१९ बेचारगी ही
चहुँ ओर  छाई है
तमाशा झूठा
२० ईश्वर नहीं 
तो भी तो उसकी 
हुई मान्यता
२१ कुछ जानता
कुछ नहीं जानता
काम चलता
२२ सब भ्रम ही 
निकलेगा देखना 
पछताने को
२३ भूल जाता 
वह मेरे करीब 
ही तो बैठा है
२४ कष्टकारी है
आप का व्यवहार
कहूँ किससे
२५ सब सच है
झूठ भी सच ही है
ज्ञान की बात 
२६ झूठ को झूठ 
समझ   लीजिये  तो 
बड़ी  सच्चाई  
२७  चाहो न  कुछ 
तभी होगा संभव 
मज़े में रहो
२८ परेशान है 
जो जितने में भी है
हर आदमी 
२९   दुःख से शुरू   
जिंदगी, मेरे मीत 
दुखद  अंत 
३०  मन  नहीं लगा 
तो काम कैसे  होगा
बेमन  नहीं
३१  ज्यादा तो न थीं  
मेरी  गलती  बस 
सफाई न दी
३२ ऐसा होता तो
वैसा हो गया होता
फिजूल बात 
३३ ईमानदारी
किसी का भी अजेंडा 
वस्तुतः नहीं
३४ गलती मेरी 
तो दोष किसे दूं
अपने सिवा
३५युवा शक्ति तो 
चौपट कर देगी
सारा बनाया
३६ छोड़ न पाया
आदत इबादत
पूजा पाठ का
३७ होता है कुछ
कहने से भी कुछ 
बदलता है 
३८ कुछ तुम्हारा 
लुटा, तो कुछ मेरी  
भी  हानि हुई
३९ हर बात का
जवाब नहीं होता 
लाजवाब हो
४० वैध अवैध 
पत्र पुष्प, नैवेद्य
झीनी लकीर
४१ रियलिटी शो
मूर्खता का कमाल
टी वी निहाल
४२ न कोई पथ 
न ही कोई पाथेय
न कोई लक्ष्य
४३ बेटे का जन्म
सपने दिखता है
सारा फिजूल
४४ भाषण फीका
मेरी कविताओं का
असर ज्यादा
४५ क्रम चला तो 
भैसों के नाम से भी
शासन होगा 
(राज्य चलेगा)
 ४६ हर जगह 
किराये का घर ही
लेना पड़ेगा
४७ वृध्दावस्था है
मृत्यु है सन्निकट
तुम हो दूर
४८ नींद टूटी तो
उनकी याद आई
कहाँ है वह?
४९ कुछ भी नहीं 
पारलौकिक, सब 
इहलौकिक
५० आँखें ढपतीं  
वह आती है जब 
कैसे देखता?
 ५१ प्यार भला तो
किस पंछी का नाम 
बोलो सज्ञान
५२ युवा, चौपट 
कर डालेंगे सब
बना बनाया
५३ नहीं  बोलता 
कोई जन  सच्चाई
झूठ ही सही 
५४ भूल जाता है
अपना ही सिद्धांत 
काम के वक्त
५५ माँ, बाप की है
बाप मेरी संपत्ति
सोचना नहीं
५६ गुरुजी और 
गुरु  में अंतर है
ज्यों दिया बाती 
५७ गलती मेरी 
मैं प्यार चाहता  था 
चिड़चिड़ाया 
५८ अपना काम
जब बनेगा शौक 
मज़ा आयेगा
५९ जो मिल जाये 
उसी से तब तक 
काम चलाओ
६० ध्वंस जायेगा 
जो अभी तो ठीक है
मौका आने दो
६१ कोई मांगे तो
वह यह चाहता 
दे तो देगा ही
६२ जायज़ होगा 
अनुभव आपका 
मुझको मेरा
६३ कितने सब 
रोज़ मरते, फिर भी
लोग हैं बचे
६४ यह गंदगी
यही सुन्दरता है  की 
मानव तन
६५ धन चाहिए 
लो, दौलत चाहिए 
लो, और फूटो
६६ मूर्ति मिट्टी की
को नहीं जानत है 
कोई न मूर्ख
६७ देख न पाया 
इतना बड़ा गड्ढा 
मूर्खता मेरी
६८ महामानव (महामूरख
आप ही तो नहीं हो
महामहिम 
६९ दिमाग तो है
भुस से परिपूर्ण
आग बचाते
७०मेरी  गलती 
जानो सारी की सारी
क्षमा कर दो
७१ रास्ता दूर से 
देखो, देखे रहोगे 
फंसोगे नहीं
७२ तिल का ताड़ 
पेड़ पर पहाड़  
इतना लाड 
७३  भूख नहीं है
अर्थात पेट भरा 
मैंने समझा
७४ शादी विहीन 
शाश्वत हो सम्बन्ध 
अनाम रिश्ता 
७५ आनंद तो है
गाँव में बहार है
चलो तो चलें
७६ उन्हें न लगे 
मेरे क्रोध का श्राप
यही मनाता 
७७ मेरी प्रार्थना 
उन सबके लिए 
जो उपेक्षित 
७८ मेरे अलावा 
सभी महत्वपूर्ण 
सब महान 
७९ दिन होता है
दीवाली का
सबसे उदास
८० वही न आये 
तो कैसी है दीवाली
क्या दशहरा
८१ अब क्या हुआ
बड़े वीर बने थे
हार गए न!
८२ अब कुछ भी 
बुरा नहीं लगता
कोई जो कहे
८३ सबसे बड़ा 
रिश्ता पति-पत्नी का
खुलेपन का 
८४ मेरे ईश्वर
कुछ नहीं मांगना
मुझे  तुमसे
८५ न लिखना है
मेरी पत्रकारिता  
न पढ़ना है
८६ बच्चों से हारे
तो बड़े बड़े वीर 
पत्नी विजेता
८७  सच  बनती 
कहने कहने से
झूठी भी बातें
८८ एक जिंदगी
तो किसी के भी साथ 

गुज़ारी जाये
८९ हर आदमी
बोलना चाहता है
सुनना नहीं 
९० सब  कुछ तो
अल्लाह की मर्ज़ी है
माने तो कोई
९१ उनका दर्द 
देखा नहीं जाता है
असहनीय
९२ प्यास किसी की 
कभी पूरी हुई क्या 
जो अब पूरी होगी
९३ कौन बचा है 
जो मरने को जाये
तुम्हारे  लिए
९४ प्यासा रहना 
उचित है, बजाय 
छिछोरगिरी
९५ अनुभवी है
आदमी जो लगता
मूर्ख की भांति
९६ कुत्ता होता है
हर मर्द, कुत्सित 
जीभ निकले
९७ संतोष धन 
संतोष कहीं नहीं
जग दुखिया
९८ ज़बरदस्ती
हांके जाते हैं गुन
माओवाद का
९९ महान होना
चाहना उचित हैं 
न कि  बनना 
१०० तीन से चार
चार से पांच भले
पांच से सात 
१०१ पर्याप्त होगा 
शरीफ दिखना भी
भले हों नहीं
१०२ कम्प्यूटर है
बहुत ही आसान 
जिसने सीखा
१०३ स्वीकार करो 
या नहीं, मैं करूँगा
प्यार तुमको 
१०४ पत्रकारिता
इनामी योजनाओं
के पर्चे क्या?
१०५ शांति आप की
आतंक भी आप का
जो भी कीजिये
१०६ दिमाग होने
से ज्यादा ज़रूरी है
कान का होना
१०७ गाड़ी से चलें
आखिर तो कितना
 संभलकर
१०८ मैं स्वतंत्र हूँ
अत्यंत स्वतंत्र हूँ
बांधो  न मुझे
१०९ खून खच्चर 
हो जाता है ज़रा
ज़रा सी बात पर
११० समझदार 
के लिए मौत हो तो
कुछ न लिखिए
१११ मुझको कोई
न गलतफहमी
अपने तईं
११२ ऐसे ऐसे ही
तुम भी आ जाओगे 
मुख्य धारा में
११३ रोज़ होती है
शादी, रोज़ तलाक 
फिर हंगामा
११४ छीन  ले गया
रातों कि नींद, स्वप्न 
बराबरी का
११५ जानवर है
आदमी या औरत 
मूल सत्यतः  
११६ बकरीद हो
आप को मुबारक
मैं तो बकरा
११७ क्या कुछ बचा
जितना लिया मज़ा
बेमज़ा हुआ  
११८ तिल का ताड़ 
बनाना कविता है
ताड़ का तिल?? 
११९ अज्ञान  होना
ज्ञान  का इंकार  भी
कम न  जान 
१२० जहाँ  मनई 
तहां चौव्वा-चमार 
कुत्ते बिलार 
१२१ लिख न पाए
पढ़ ही कहाँ पाए 
अज्ञानी रहे  
१२२ संभव नहीं
किसी के भी बारे में
कुछ कहना
१२३ पढ़ते कहाँ
लिखने वाले लोग
मौका ही कहाँ 
१२४ न्याय अन्याय 
निपटारा फौरन 
नक्सल वाद
१२५ मांस ही तो है
रक्त, मज्जा या वीर्य 
सारा शरीर 
१२६यह कैसे है
मैं तो  नहीं जानता
तुम भी कैसे?
१२७ वह उनका
शगल है तो यह
मेरा शगल
१२८ आप मूर्ख हैं 
कह नहीं सकता
मैं तो आप को
१२९ मिले न मिले 
सोचा, तो सब मिला
ऐसे ही होता
१३० बड़े का गोश्त
देख बड़बड़ाया     
दही का बड़ा
१३१ हिन्दू मुस्लिम
विभाजन, यथार्थ
बहुत बड़ा 
१३२ अंग प्रत्यंग 
देवता के कांपे जो, 
मनुष्य देखा
१३३ फर्क होता है
ब्रेड और रोटी में 
कन्या -बेटी  में
१३४ सारा जीवन  
मन्त्र जप में बीता  
अच्छा ही बीता 
१३५ भले काम का 
अनुभव कटु है
बुरा नतीजा 
१३६ अनुभव की 
आयु बड़ी होती है
दिन-वर्षों से 
१३७ जीवन भार
कम होता जाता है
दिन ब दिन
१३८ लगा हुआ हूँ
सफल कोई नहीं
मेरा प्रयास 
१३९ वापस लूँगा 
मैं अपना सम्मान 
लूँगा ही लूँगा 
१४० काटा तो मुझे
लेकिन, वह कुत्ता 
पागल न था
१४१ आदिवासियों 
में सक्रिय नक्सल
और ईसाई
१४२ न ज्यादा 'लिफ्ट'
दीजिये किसी को भी
न ज्यादा 'फाल'
१४३ तकलीफें हैं
तरह तरह की
वृद्धावस्था में
१४४  चश्मा उतारा
फिर भी लगता है
चश्मा लगा है
१४५ मैं तो न देखूं 
भाग्य की लकीरों को 
होनाहो जो हो 
१४६ बीत जायेगा
जैसे सब बीता है
यह  भी दिन  
१४७  चलती नहीं 
दुनिया मेरे कहे 
दुःख है मुझे  
१४८  चिड़ियाघर
में शेर भी रहते 
सियार भी हैं 
१४९ पानी न पीना 
झूठ बोलने तक
प्रातः एक सौ
१५० खाने को पाऊँ   
केला, सेब, अनार 
कभी कभार
१५१ जो हो रहा है
वही  होते रहना 
विश्व- नियति 
१५२ हर आदमी 
महत्वपूर्ण, हर 
आदमी नीच 
१५३ कहेंगे भर 
या कुछ करेंगे भी
धर्माधिकारी
१५४ उत्सव मांहि
अब सच  पूछो तो 
नहिं  उत्साह 
१५५ कर्म मानते 
भाग्य भी मानते हैं 
जैसा उचित
१५६ खोपड़ी में है
मेरे पास दिमाग
काम लेना है 
१५७ खाम  खयाली  की 
पतंग  उड़ाता  हूँ
मनोरंजन 
१५८ कुत्ते भौकते 
हाथी चलता जाता 
ध्यान न देता 
१५९ छात्रों का गुरु
कोई हो न हो,पर 
नेता कई हैं 
१६० खूब चाटिये   
सूचना अधिकार
अति स्वादिष्ट 
१६१ अपनी ख़ुशी
में सबकी ख़ुशी है
मैं यह मानूँ
१६२ मटमैला है 
आप का ध्रुवतारा 
लक्ष्य बेकार
१६३ ख्याल आते हैं
मन साधना लीन
ख्याल जाते हैं
१६४ यदि तुम हो 
तो ऐसा करो कि मैं
भी साथ  रहूँ सदा 
१६५ भ्रष्ट हुआ है 
ईमानदारी पर
जो गर्व किया
१६६ काम की इच्छा
कभी नहीं बुढ़ाती  
कार्य की इच्छा?
१६७ फिर भी चाहें 
यह निराश मन 
कामना पूर्ति
१६८ आँखें  बंद की
ज्ञान दिखाई दिया 
मुझे अदृश्य
१६९ गन्दा रहना 
सीखो नागरिक जी
स्वच्छ न श्रम 
१७० कुछ न कुछ 
बिगड़ ही जाता हैं
परिवार में 
१७१ दरअसल 
अब तो सारे सत्य 
प्रायोजित हैं
१७२ हम सोचेंगे 
किये जाने चाहिए 
क्या क्या उपाय
१७३ दो मिनट में 
दो हजार सपने 
देखता हूँ मैं 
१७४ सीमा समाप्त
राज्य के विधान की
अब यहाँ से 
१७५ खिंचा आयेगा 
जनमत तो स्वयं 
आप की ओर
१७६ न हग्गेंगे न 
आगे जाने के लिए
राह छोड़ेंगे 
१७८ अब सत्य भी
 प्रायोजित हुआ है
 शुद्ध न रहा 
१७९ प्यार करो
 तो होशो हवास गुम
 उल्टा भी सच 
१८० प्रधानमंत्री 
कोई बने, भारत 
संयुक्त तो हो 
१८१ नास्तिक  तो हैं 
हम राजनीतिक 
लोग भी तो हैं
१८२ है कोई नहीं
ईश्वर अल्लाह जैसा 
कोई होता तो? 
१८३ मत कीजिये 
औरतों से बहस
हार जायेंगे
१८४ शादियाँ और 
मुहब्बत अलग 
अलग चीज़ें 
१८५ सीखेंगे नहीं
लेकिन सिखायेंगे 
ज़रूर हम 
१८६ गंदगी जिया 
आमजन की भांति 
शुद्धता जिया
१८७ सब शरीर 
शरीर सारी पृथ्वी
शरीर मिट्टी 
१८८ पृथ्वी में स्वर्ग
शरीर सारी पृथ्वी
शरीर सोना
१८९ सबकी इच्छा
सुखमय जीवन
उचित ही है
१९० करते रहो 
मदद का नाटक 
मदद नाहिं
१९१ वह भी खुश
थोड़ा मीठा बोल दो
तुम भी खुश
१९२ साफ इंकार 
ज्यादा ठीक, अपेक्षा 
आधा स्वीकार
१९३ सब कुछ तो 
ठीक ठाक नहीं है
बस ठंडा है
१९४ वे सुंदर हैं
तुम भी सुन्दर हो
मैं सुन्दर हूँ
१९५ हर किसी से 
बन जाती है मेरी
ठन जाती है 
१९६ मन था मेरा 
मैंने प्रार्थना करी
क्या कर लोगे? 
१९७ जो हो रहा है
वही होता जायेगा
हम देखेंगे
१९८ धीरे धीरे ही
पिघलता है राज़ 
बर्फ भीगेगी
१९९ गुलछर्रे से
रहना सावधान
गुलों में छर्रे
२०० मेरा मन है
अब किसी के प्यार 
में पड़ा जाये
२०१ मिट्टी हो गयी 
आदमी मर गया
समझो तो कोई
२०२ वक्त कहता 
मैं कुछ नहीं कहूँ 
घुटता रहूँ
२०३ कहते रहो 
होगा कुछभी नहीं
बकते रहो
२०४ रात भर तो 
शहर जगे, भला 
तू क्यों, दीवाने! 
२०५ प्रयास नहीं
अब कोई प्रयास 
नहीं करूँगा 
२०६ एक हिचकी 
और बस, दीवाना 
गुज़र गया
२०७ मुझे पता है
मुझे पता रहेगा
मुझे पता था
२०८ संपत्ति लाता
फिर विपत्ति आती
सामने पाता
२०९ करते है स्वयं
अपने सब  काम 
दे राम नाम 
२१० तब माँ के थे
दुलरुआ पूत वे 
अब पत्नी के
२११  अब किसी  कि  
नहीं करूँगा हेल्प
बड़ी बुराई
२१२ युद्ध तो होगा
किसी ने भी कहा हो
या न कहा हो
२१३ बँटो तो बँटो
पर, ठीक से बँटो
दिल या राज्य
२१४ शादी का अर्थ
संपत्तिक सुरक्षा
और न कुछ
२१५ कुत्ते घूमते
जो कुतियों के पीछे
दुत्कार पाते
२१६ संपत्ति छोड़ी
तो कुछ sambandh  भी
छूटने ही थे
२१७ हुर्रियत   से
बोरियत  सी होने
लगी है अब
२१८ क्या मर जाऊं 
बात नहीं बनी तो
मैं क्या कर लूँ?
२१९ बेवकूफ हैं
या मूर्ख समझिये
हम हैं तो हैं!
२२० मरे जाते हैं
भलमनसाहत
में भी आदमी
२२१ भाव भला तो
किसके मन में है
जान सेवा का
२२२ अपने काम
स्वयं किया कीजिए
भरोसा नहीं
२२३ सफाई देने
का मतलब होगा
मैं दोषी हूँ
२२४ सफेद झूठ
काली सच्चाइयों से
बेहतर है
२२५ देंगे तब भी
नहीं देंगे तब भी
खुश रहूँगा
२२६ हिन्दू भाइयों
हिंद का नाम लेना
हिन्दू का नहीं
२२७ धर्म का मर्म
केवल नास्तिक ही
सही जानता जो कहते हैं
मेरे चाहें वाले
२२८ मैं ही क्यों लिखूं?
जब कोई लिखता
नहीं चिट्ठियां|
२२९ खाना बनाना 
औ, सुंदर दिखना
जारी रखना
+
२३० नारी महान!
इन गुणों को कभी
मत छोड़ना
२३१ जालों में हम
खुद  फंस जाते हैं
वासना वश
२३२ ज़रूरी है कि
दिमागी  तौर पर
बीमार न हों
२३३ दर्द कुछ है
दवा कुछ और ही
देता है वैद्य
२३४ कभी दायाँ तो
कभी बायाँ भी पैर
लड़खड़ाता   
२३५ वोट न देता
चुनाव हार जाते
तो मज़ा आता
236 राजनीति की 
समझ धीरे धीरे
ही तो आती है
२३७ तुम जाते हो
या बुलाऊँ पुलिस
याद आते हो
२३८ हम मिलते
नहीं एक दूजे से
यही करार
२३९ खुश  हो जा रे  
चिट्ठी चल चुकी है
तो आयेगी ही
२४० ख़ुशी की बात
कोई चिट्ठी आई है
भला किसकी?
२४१ मन से दुष्ट
होगा जो, शरीर से
होगा कुष्ट
२४२ जिंदाबाद से
मुर्दाबाद तक है
जीवन यात्रा
२४३ स्पर्श से पर्स
पर्स और स्पर्श का
गहरा नाता
२४४ दर्द कहाँ है
टटोलता कहाँ है
मुआ डाक्टर
२४५ सर के बल
खड़े होंगे ही - धर्म
ईश्वर-खुदा
२४६ दायें चलो तो
बिल्कुल दायें चलो
बाएं चलो तो.
२४७ कूद पड़ा मैं
हीरो के कहने से
फ़िल्मी प्रभाव
२४८ घृणा को भी दें
निकलने का मौका
घृणा मिटेगी
२४९ मेरे मन में
कोई संदेह nahin
मैं हूँ जो हूँ
२५० सेक्स केवल
 वीर्यपात नहीं है
सन्निओअत हैं
२५१ गाय के पीछे
सांड नतमस्तक
सांडों में युद्ध
२५२ मैं हँसता हूँ
मैं रोता गाता भी हूँ
साधारणता
२५३ जब थे तब
सहारा ती थे ही वे
आज नहीं हैं
२५४ पढ़ाई का तो
मतलब है कुछ
 बदलाव हो
२५५ परिवर्तन
चाहना ही पढ़ाई
का मतलब
२५६ आयतन है
वजन कुछ नहीं
इन बातों में
२५७ आज सोचिये
कल देखा जायेगा
अभी की सोचो
२५८ क्या जरूरत
सलाम नमस्ते की
बांह फैला दो
२५९ कमीनी नहीं
वह, कहती है जो
मुझे कमीना
२६० कोई न उठे
पेशाब न लगे तो
रजाई छोड़
२६१ शांतिपूर्वक
त्याग दी संपत्तियां
शांति ही शांति
२६२ मन मिशन
तो देह में थकन
संभव नहीं.
२६३ ड्राइंग रूम
बहुत डरता है
मुझे अपना
२६४ इतना काम
तो चलो खत्म हुआ
थोड़ा बाक़ी है
२६५ नींद न आये
तो शवासन करो
थकान हरो
२६६ हिंदी न कहो
 किसी जनभाषा को
उर्दू न कहो
२६७ हिन्दू है हिन्दू
का शत्रु, क्या है कोई
मुसलमान
२६८ थोड़ा सा रफ
जिंदगी जो मैंने  जी
थोड़ा फेयर
२६९ नोबुल जन
नोबेल पुरुस्कार
ले क्या करेंगे?
२७० अन्य की पीड़ा
कोई नहीं सोचता
न समझता
२७१ अब तक तो
कुछ न बदला
क्या बदलेगा?
२७२ बिल्कुल ठीक
जो तुम कहते हो
वही ठीक है
+
२७३ जहाँ तुम रहते
मैं  भी रहूँगा
२७४  वे गए चीन
ज्ञान प्राप्त करने
पर भूल से
+
२७७ दिमाग छोड़ आये
वहीं चीन में
२७८ दूर की बात
पढ़ना लिखना तो
क्या बोलता तू?
२७९ या तो अक्षम
या तो अति सक्रिय
पुलिस फ़ोर्स
२८० वैसे तो ठीक
लेकिन कभी कभी
दर्द होता है
२८१ कभी तो हाबी
इतनी होती  हावी
गृह से मुक्त
२८२ जब शरीर
सब हाड़  हो गया
 आयु निष्प्राण
२८३ जिन्ना   ने कहा
उसे सच मानिये
अद्यकाल भी
२८४ उसका क्या हो
अपने मुल्क में हिया
जो अमरीका
२८५ खत्म ही नहीं
होता, यह जो काम
अपने सर
२८६ मैं सोचता हूँ
अब किस प्रकार
रार बढ़ाऊँ
२८७ अवगुण है
मेरा, मेरा विनय
अब है तो है
२८८ अब देखिये
अभी यह हाल है
आगे क्या होगा?
२८९ ताकत रही
जितनी, उतने से
काम चलाया
२९० कठिन नहीं
तो आसान भी नहीं
यह मसला
२९१ जग जागे,  तो
भी कोई डर नहीं
प्यारे आ जाओ
२९२ मैं बहुत ही
खराब आदमी हूँ
जानो तो अच्छा
२९३ आश्चर्य तुम्हे
आश्चर्य मुझे भी है
किमाश्चर्यम!
२९४ महत्वपूर्ण
 मेरे लिए है आज
अभी का वक्त
२९५ कहना होगा
कहना तो होगा ही
जो आप सोचो
२९६ काम करती
बड़े ही तरीकों से
मन की परतें
२९७ पहना नहीं
फिर भी फट गया
मेरा कुरता
२९८ हिदायतों को
गौर से पढ़िएगा
बचिए| धोका!
२९९ तुमने कहा
तुम भले चंगे हो
मैं मान गया
३०० घंटा बजाओ
तुम, हम तो करें
भारत राज
३०१ अनैतिक  है
लेकिन रुचिकर
है पाप कर्म
३०२ पहले ज्यादा
आकर्षण था, अब
बहुत ज्यादा
३०३ मानव बुद्धि
बुद्ध धर्म के नहीं
समनुकूल
३०४ कोशिशें  तो कीं
कुछ नहीं हो पाया
तो मैं क्या करूँ
३०५ मैंने जो सोचा
उसे लिख भी दिया
पूछो न कुछ
३०६ खासियत है
यह मेरा वैशिष्ट्य
मैं अ-विशिष्ट
३०७ मन में पाप
\hoti नहीं रात की
आने लगते
३०८ हिंद स्वराज
अब एक सपना
तो क्या देखना
३०९ लिख देना भी
घटना को बनाता
आगे संभव
३१० नहीं जानता
कुछ नहीं जानता
मैं कुछ नहीं
३११ मैं सोचता हूँ
मैं सोच सकता हूँ
मैं तो  सोचूंगा
३१२ बिना जनाए
कौन जान पायेगा
मैंने क्या लिखा?
३१३ मार्क्स आएंगे
तो लेनिन-स्टालिन-
माओ आएंगे
३१४ पौधा लगा तो
तो पेड़ बनेगा ही
फल आएंगे
३१५ नहीं हो पाया\
सब धन बाइस
पसेरी  भाव
३१६ यू. पी. का अर्थ
अनप्रोटेक्टेड है
जी, सेक्स नहीं
३१७ ईश्वर नहीं
मैं आदमी से हारा
भक्त जनों से
३१८ नहीं, अपने
शत्रुओं को भी मैं मार
नहीं सकता
३१९  तुम्हे गाँधी की
तलाश है तो देखो
यह लाश hai
320 कुछ तो करो
प्रेम नहीं, न सही
घृणा ही सही
३२१ गलत सही,
मेरी निगाहें उन्हें
देखतीं तो हैं
३२२ प्यार का काम
पास पास सो जाना
अन्यथा नहीं
३२३ मैं महान हूँ
गलत फहमी नहीं
पूरी सच्चाई
३२४ मैं हूँ महान
बात झूठी तो नहीं
खून न खून?
३२५ मर जाऊँ  तो
कोई क्या कर लेगा?
या न मरुँ तो?
३२६ कोई आदमी
मूर्ख नहीं, सब हैं
चतुर
३२७ हलकान या
परेशान मत हों
ऐसे ही होगा
३२८ कहतीं नहीं
कहना पड़ता है
महिलाओं को
३२९ रहें तो रहें
धर्म, पर मठ तो \
टूटने होंगे
३३० हाँ है तो कुछ
कठिन ज़रूर है
यह समस्या
३३१ सब कुछ तो
ठीक ठाक नहीं है
न हो पायेगा
३३२ चीज़ें कम थीं
ज़रूरतें कम थीं
पैसे कम थे
३३३ बच्चों के लिए
क्यों कर डालें हम
हत्या गबन
३३४ तुन्हें प्रणाम
अपने जो माँ बाप
उन्हें प्रणाम
३३५ दुर्भावनाएं
छिपकर रखता
कभी खोलूँगा
३३६ सिगरेट है
एकमात्र सहारा
छोडूँ इसे भी?
३३७ सारी चिंताएं
ठिकाने लगा चुका
तुम बचे हो
३३८ क्या लिखा मैंने
पूछो, क्या नहीं लिखा!
पर क्या हुआ!
३३९ हँसता नहीं
को नहीं हँसता
सब नाटक
३४० बचाए हुए
अपनी इज्ज़त को
बैठा मैं कोठे
३४१ सबको जांचा
निराशा हाथ लगी
अब क्या करें?
३४२ मैं सोचता हूँ
नींद की दवा ले लूँ
यह आये तो
३४३ क्या बोलता तू
घर बनवायेगा ?
गेटआउट !
३४४ थरथराता
गत मेरा, औरतों
को देख कर
३४५ सहनीय है
तब तक तो ठीक
लेकिन बाद?
३४६ होना चाहिए
संतों को संगठित
कदापि नहीं
३४७ ढूँढो तो ढूँढो
कुछ मिलेगा नहीं
नग्न देह में
३४८ - निभाना भी हो
कोई प्रण न  पालो
तिस पर भी .

३४९ - सब बातें तो
कहने की नहीं हो
सकतीं हैं न !

३५० - भला  किसने 
जो चाहा वह पाया 
किसी युग में !

३५१ -  उन्हें गर्व है
दलितपन पर ,
अपना गर्त
कुछ लाभ  के  लिए
उन्हें प्यारा है .

३५२ - इतनी जल्दी
खुश  मत हो जाना 
मीठी बातों से .

३५३ - इतना व्यस्त 
नहीं होना चाहिए 
की मिलें नहीं .

३५४ - ये हथकंडे 
लोक प्रियता को हैं 
हथियाने के .

३५५ - कैसे चिन्तक 
लीक पीटते हैं जो
चिन्तक नहीं .

३५६ - करता जाता  
सबका बॉयकाट 
कौन बचेगा !

३५७ - सब के सब
मूर्ख हो गए  हम
ऐसा लगता .

३५८ - नयी सभ्यता
अर्थात आपस में
कट मरना .

३५९ - बनना  क्या है
जो मैं हूँ वह मैं हूँ
बताने से क्या .

३६० - लिख रहे हैं
बहुत सारे लोग
बहुत अच्छा .

३६१ - लेखक कैसे
जब लिखते नहीं
भाषण देते .

३६२ - व्यक्ति इतना
हावी है लोगों पर
उठें तो कैसे !

३६३ - नेता देश को
नहीं चलने देंगे
हम नेता को .

३६४ - दो कौड़ी के हैं
निज घर में हम
बाहर शेर .

३६५ - असमंजस
मेरी उपलब्धि है
बहुत बड़ी .

३६६ - ज़िन्दगी  बीती
सोचना अभी नहीं
किया आरम्भ .

३६७ -धीरज धरो
तभी कुछ पाओगे
मुझे भी लगा .

३६८ - नागरिक जी ,
समय चुक गया
गए  जो दिन
तुम्हारी जवानी के
लोटेंगे नहीं
अब नहीं पाओगे
जो   चाहते हो
तुम बुढ़ा गए हो
ख्वाब न देखो .

३६९ - औरत को हो
या मर्द को हो , बिना
रखे - रखाए
काम नहीं चलता
किसी का भी हो .

३७० - अवमूल्यन
रूपये का ही नहीं
आदमी का भी .

३७१ - मूर्ख हम भी
कोई फर्क नहीं है
मूर्ख तुम  भी .

३७२ - बांह पकड़ो
पहुँचा न पकड़ो
तो दोस्ती निभे  .

३७३ - स्वतंत्रता का
मखोल न बनायें
गंभीर रहे .

३७४ - आप को होती
ग़लतफ़हमी में
खुशफहमी .

३७५ - पता नहीं क्यों
बरक्कत न हुयी
तनख्वाह में .

३७६ - हम राधा के
और उधर देखो
राधा कृष्ण की .

३७७ - कौन देता है
संबंधों पर जोर
हाँ, गिफ्ट पर .

३७८ - शादी में जाते
नाचना जानते हो
तब तो जाओ .

३७९ - खाना खा जाओ
तो कोई बात नहीं
फेंको तो मत .

३८० - सच बात है
जिन्ना सेक्युलर थे
हम भी बनें .

३८१ - जिन्ना की भांति
हम भी सेक्युलर
क्यों नहीं बनें .

३८२ - एक कमीना
आदमी के अन्दर
बैठा  ही बैठा ,
एक देवता
आदमी के मन में
होता ही  होता .

३८३ - ख़ुशी के जाते
देर नहीं लगती
दुःख के आते .

३८४ - हम एक हैं
विवशता के मार
के मामले में ,
हम पर करती
बराबर   से     
वार हम सहते    
छटपटाते  ,  
मजबूरी   में 
हम  बराबर  हैं ,
हम बराबर  से   
मजबूर  हैं .

३८५  - गुंजाइश   तो  
बची  रहने  देना     
थोड़ी  बहुत  .

३८६  - हो  ही जाती  हैं 
गलतियाँ  ओझा  जी  
वर्तनी  की  तो  .

३८७  - मेरी  भाषा  में 
लिंगदोष  बहुत  
नर  को  नारि .

३८८  - चकनाचूर  
करता  हूँ   मैं  दंभ  
किसी  का  भी  हो  

३८९  - पहला  हक  
व्यक्ति  के सेक्स  पर 
पति  / पत्नी  का  ,
वह  इन्कार  करे    
तभी  बाहर  
का  इंतजाम  करें  
पहले  नहीं  .   

३९० - दिखाओगे तो
पब्लिक  देखेगी  ही
आरोप व्यर्थ .

३९१ - सब डरते 
अपने अहित से 
तो पूजा - पाठ .

३९२ - जब से मेरा 
दृष्टिकोण बदला 
दृष्टि बदली ,
नज़र बदली तो 
नजरिया भी .

३९३ - बदबूदार
हो जाता है फूल  भी
सड़ जाए तो  |

३९४ -  हर  व्यक्ति  के
मुहं में जुबान है
कुछ भी बोले .

३९५   - कहानियां हैं
जिन पर टिके हैं
सारे ही धर्म
और कविताओं की
ताक़त पर .

३९६ - पता ही नहीं 
कब नींद से जागे 
कब सो गए .

३९७ - लाइन में थे 
लाइम लाइट में 
आ गए नेता .

३९८ - याद आ गया 
कहाँ था मैं खो बैठा 
अपना सारा .                     

३९९ - प्रेम को जिया
खोया  -पाया  -लुटाया
घृणा पी लिया .

४०० - मेरा नाम हो 
न हो , मेरा काम हो 
मेरा उद्देश्य .  |
============ swami
THE END
   
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THE END 



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