सोमवार, 27 दिसंबर 2010

बहाने से प्यार , कविता

कविता -

बहाने से प्यार

मैं  जानती  हूँ
तुम बहाने  बना रहे हो
मुझे छूने का -

"यह तुम्हारे हाथ पर
कालिख कैसी लगी है?"

"पांवों  में बिवाईयां
ज्यादा फट गयीं हैं,"

"बाल,देखो , कैसी तो
लटियाई हैं,"

"गालों पर झाँयीं
विटामिन की कमी है - --"

----और तुम छूते हो |
मुझे  जगह  जगह  |

अच्छा लगता है

मैं चाहती हूँ कि
तुम मुझे  छुओं
सचमुच , लेकिन
बहाने से छुओं

मैं  बिल्कुल   चाहती हूँ
तुम मुझे प्यार करो
लेकिन इज्ज़त के साथ | |
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