कविता -
बहाने से प्यार
मैं जानती हूँ
तुम बहाने बना रहे हो
मुझे छूने का -
"यह तुम्हारे हाथ पर
कालिख कैसी लगी है?"
"पांवों में बिवाईयां
ज्यादा फट गयीं हैं,"
"बाल,देखो , कैसी तो
लटियाई हैं,"
"गालों पर झाँयीं
विटामिन की कमी है - --"
----और तुम छूते हो |
मुझे जगह जगह |
अच्छा लगता है
मैं चाहती हूँ कि
तुम मुझे छुओं
सचमुच , लेकिन
बहाने से छुओं
मैं बिल्कुल चाहती हूँ
तुम मुझे प्यार करो
लेकिन इज्ज़त के साथ | |
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