शनिवार, 5 जनवरी 2013

किन्ही शायरों के

[ प्रातः स्मरण ]
किन्ही शायरों के कुछ अशआर :
* घर से मस्जिद है बहुत दूर, यह किया जाए -
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए |

* अमावट आ गया जब मार्केट में आम से पहले ,
तो क्यों मजदूर मजदूरी न माँगे काम से पहले ?

* यूँ ज़िन्दगी गुज़ार रहा हूँ तेरे बगैर ,
जैसे कोई गुनाह किये जा रहा हूँ मैं |


[ कविता ]

* प्रश्न था -
चुम्बन अश्लील है
या युद्ध ?
मैंने कहा -
युद्ध |
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* ज़िन्दगी भर
ज़िन्दगी के सामान
इकठ्ठा करता रहा ,
अब , जब सामान
इकठ्ठा हो गया
तब ज़िन्दगी
जीने का
समय ही नहीं बचा |
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* सोचो और
सोचते रहो कि
किसी को प्यार
करना चाहिए ,
किसी का प्यार
पाना चाहिए ,
लेकिन बस सोचो
सोचते रहो
सोच के दायरे से
आगे मत बढ़ो ,
किसी का प्यार मत लो
किसी को प्यार मत करो |
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