* त्रुटिपूर्ण चिंतन हेतु पूर्ण अधिकृत मैं मनुष्य हूँ ।
* विज्ञानं सचमुच ब्रह्माण्ड को नहीं जानता | वह इसका दावा भी तो नहीं करता | लेकिन श्रीमन ! आप क्या सब कुछ जान गए ? कहते तो आप ऐसा ही हैं | कैसे जान गए आप ? अनुमान से ? तो भाई , अनुमान तो अनुमान है , ज्ञान तो नहीं |
* नई मनुष्यता का पहला नियम | बाहर से कुछ भी न पता चले कि आप किसी ख़ास धर्म या मज़हब के हैं | आपका व्यवहार , सत्य आचरण ही आपकी असली पहचान होगी | दिखावा कुछ भी नहीं , न कुछ होने का कोई अभिमान ही |
* 'ज्ञान' होता है | 'ज्ञान ' होना चाहिए | ज्ञान सबको सुलभ नहीं होता | लेकिन जिसे भी ज्ञान प्राप्त हो , उसे उस पर अहंकार नहीं करना चाहिए (वैसे ऐसे होता भी नहीं मैं तो बस सावधान कर रहा हूँ) | उसे ज्ञान के भार से झुक जाना चाहिए | विनम्र हो जाना चाहिए | फिर शांत , फिर मौनवत, फिर मौन - - , फिर चिर मौन | वही व्यक्ति चिरायु होता है |
* * ईश्वर को याद करो | लेकिन किसी एक विधि से नहीं , अनेक विधियों से |
हवा से, अब्र से, गुल से पयाम लेता हूँ ,
मैं हर बहाने तुम्हारा ही नाम लेता हूँ |
* विज्ञानं सचमुच ब्रह्माण्ड को नहीं जानता | वह इसका दावा भी तो नहीं करता | लेकिन श्रीमन ! आप क्या सब कुछ जान गए ? कहते तो आप ऐसा ही हैं | कैसे जान गए आप ? अनुमान से ? तो भाई , अनुमान तो अनुमान है , ज्ञान तो नहीं |
* नई मनुष्यता का पहला नियम | बाहर से कुछ भी न पता चले कि आप किसी ख़ास धर्म या मज़हब के हैं | आपका व्यवहार , सत्य आचरण ही आपकी असली पहचान होगी | दिखावा कुछ भी नहीं , न कुछ होने का कोई अभिमान ही |
* 'ज्ञान' होता है | 'ज्ञान ' होना चाहिए | ज्ञान सबको सुलभ नहीं होता | लेकिन जिसे भी ज्ञान प्राप्त हो , उसे उस पर अहंकार नहीं करना चाहिए (वैसे ऐसे होता भी नहीं मैं तो बस सावधान कर रहा हूँ) | उसे ज्ञान के भार से झुक जाना चाहिए | विनम्र हो जाना चाहिए | फिर शांत , फिर मौनवत, फिर मौन - - , फिर चिर मौन | वही व्यक्ति चिरायु होता है |
* * ईश्वर को याद करो | लेकिन किसी एक विधि से नहीं , अनेक विधियों से |
हवा से, अब्र से, गुल से पयाम लेता हूँ ,
मैं हर बहाने तुम्हारा ही नाम लेता हूँ |
* * ईश्वर को किसी नाम से पुकारना हमें नामंजूर है | इसलिए हम नास्तिक हैं | वरना - -
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