बुधवार, 22 जून 2011

हम ईश्वर की मूर्तियाँ

* उसने (ईश्वर ने) तो खूब मूर्तियाँ बनाईं , हम लोगों की , पशु-पक्षियों, जंगल पहाड़ नदी समुद्र चाँद सूरज सितारों और तमाम चीज़ों की , अपनी इच्छानुसार । अब हमसे कहता है कि मेरी (ईश्वर की) मूर्ति मत बनाओ । खबरदार जो बनाया । बताइए कितना बड़ा अन्याय है उसके राज में ?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें