- देश शर्मसार सनातन युग के योगियों की बात छोड़ दीजिये , अभी अधिक दिन नहीं हुए , इस देश में योगिराज अरविन्द हुए , गोपीनाथ हुए , विवेकानंद हुए ,स्वामी दयानंद हुए और हुए बाबा देवराहा | जिन्हें लोग किस सम्मान , विश्वास और आदर के भाव से याद करते हैं ! कितने स्वनाम धन्य नाम उचारे जाएँ कोई न कोई शुभनाम छूट ही जायगा | इधर शिर्डी के साईं बाबा को ही ले लीजिये | कितना तो श्रद्धा और सम्मान प्राप्त है उन्हें | और ये सब अपने श्रद्धालुओं की कसौटी पर खरे सिद्ध हुए |
- लेकिन अब देखिये ! नए एक साईं बाबा तो अभी जल्दी ही ईश्वर को प्यारे हुए | एक महेश योगी , फिर चंद्रास्वामी जी महराज का नाम ले लीजिये | फिर न भूलिए आज प्रसिद्धि के टॉप पर खड़े योग गुरु और राजनेता बाबा रामदेव को | उन्हें बचने का रास्ता हम निकाल सकते हैं कि वह योगी नहीं , योग शिक्षक /टीचर हैं | पर क्या सचमुच आपको नहीं लगता कि कहाँ तो इस विद्या को बढ़ते विज्ञानं के साथ उच्चता के शिखरों को छूना चाहिए था ,इन लोगो के कारनामों के कारण योग विद्या , योग शास्त्र , हमारा देश , इसका धर्म और संस्कृति , जिस पर हम फूले नहीं समाते , शर्मसार हुआ है | या अब भी कुछ बचा है हमारे सर उठाने के लिए ? क्या यह उचित न होगा कि इन्ही से पूछा जाय कि उनके इस महा अपराध के लिए उनके लिए क्या सजा मुक़र्रर की जाय ? या ईश्वर पर ही छोड़ दिया जाय , इनके पापों का फल इन्हें देने के लिए ? ##
उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
शुक्रवार, 17 जून 2011
देश शर्मसार
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