गुरुवार, 9 जून 2011

नौ दो ग्यारह

* इतने बड़े देश का  गुरु , और आमदनी सिर्फ ग्यारह सौ  करोड़ ? तभी तो बिचारे को भूखा रहना पड़ रहा है |# |

* अभी तो रामदेव का भारतीय जन मानस से पटाक्षेप हुआ है | उनके साथ अभी और तमाम जायेंगे | आर एस एस , वि हि प , फिर भाजपा भी अंतर्धान होगी और देश कुछ चैन की साँस लेगा | हमें ख़ुशी है कि यह सब संभव होगा | धन्यवाद बाबा को ,कि वे इस देश सफाई के कारण और कारक बने | और यदि कहीं इनके साथ ही भारत से अंधविश्वास , अंधी आस्था का भी अंत अथवा शमन हो जाय तो भारत सचमुच रामदेव के ही सपनों का  सोने की  चिड़िया हो जाए |
 कैसी विसंगति की बात है  कि जो सपने देखते हैं , वही उन सपनों को तोड़ने के मूल में हो जाते हैं , अपने निजी स्वार्थ और अहंकार के कारण ! ##

* उनके शिष्य तो ज़्यादातर बूढ़े , रिटायर और बीमार लोग हैं | बाबा कहाँ से ग्यारह हज़ार युवकों की सेना इकट्ठा करेंगे ? फिर भी यदि वे इस हेतु समर्थ ही हैं , और ऊपर से राष्ट्रवादी भी ,तो इतने जवानों को भारतीय सेना में क्यों नहीं भेज देते ? लेकिन नहीं उन्हें देश से कहाँ मतलब , उन्हें तो अपनी और अपने मठ की  सुरक्षा की चिंता है | है भी तो इतना बड़ा साम्राज्य ? लेकिन वे भूलते हैं कि वह ओशो से ज्यादा ज्ञानी -विज्ञानी नहीं हैं | जब उनका यह हश्र हुआ ,तो ये  किस खेत के मूली हैं | फिर उन्हें याद दिला दूँ कि यह देश सचमुच ऋषियों -मुनियों का है जो अदृश्य हैं ,और उनके आगे रामदेव कुछ भी नहीं हैं | वह अपनी सीमा में आ जाएँ ,वर्ना उनका विनाश तो सुनिश्चित है ,उनके साथ देश का भी कुछ नुकसान हो जायगा |    ###

*     एक चैनल पर यह  प्रश्न पूछा जा रहा है कि भारत में कितने पीठ हैं | श्रोता अगर पतंजलि योग पीठ को जोड़ लेंगे ,तो उनका उत्तर गलत हो जायगा ? #### 

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