सोमवार, 20 जून 2011

सबका अलग-अलग भगवान

*Other God ! अन्य ईश्वर
मैं  सच  कहूँगा  , मैं  असफल  नहीं  होना  चाहता  | कोई  नहीं  चाहता  ,भले  ही  अंत  में  वह  असफल  ही  हो  | मैं  अच्छी  तरह  जानता 
हूँ  कि  मैं  ईश्वर को  कितना   भी  ना  मानूँ  , ईश्वर  इस  संसार  से  , मनुष्य  के  मन  से  जाने  वाला  नहीं  | क्योंकि  उसके  वजूद  के  ठोस  कारण  हैं  | विज्ञानं  भी   छवियों  की हकीक़त  को  इन्कार  नहीं  कर  सकता  , जैसे  कलाओं  में  एब्सट्रेक्ट  का  स्थान  स्वीकृत  और  सर्वमान्य  है  |
     फिर  भी  इस  बात  से  मुँह  मोड़ना  भी  संभव  नहीं  है  और  घातक भी  है  कि   उसका  वैसा  अस्तित्व  जैसा  कि  कुप्रचार  में  है  , हमें  स्वीकार  नहीं  हो  सकता  | या  यूँ  कहें  कि  वैसा  ईश्वर  , ईश्वर  का  वैसा  स्वरुप  हमारे  मन  को  नहीं  भाता  | तो   रास्ता  यही  बनता  है  कि  हम  सब  अपना  –अपना  अलग  – अलग  ईश्वर  बनायें  | तब  हम  उसके  प्रति  ज्यादा  ईमानदार हो  सकेंगे  , उसके  प्रेमी  और  रसिक  | और  जिंदगी  तब  ज्यादा  आनंदपूर्ण  हो  सकेगी  जो  अभी  साम्प्रदायिकता  के  जंजाल  में  फँसी  मनुष्य  को  परेशान  किये  हुए  है  |
     इसे  मैं  अभी   “ OTHER GOD MOVEMENT “  अन्य ईश्वर आन्दोलन" की   संज्ञा  देना  चाहूँगा  | जो सबका अपना -अपना अलग -अलग होगा ,नया -नया विलक्षण | कहा था न बाबा ने ? जाकी रही भावना जैसी , प्रभु मूरत देखी तिन तैसी |अर्थात मैं कोई नयी बात कह भी नहीं  रहा हूँ  ##

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें