उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
शुक्रवार, 26 जनवरी 2018
अनादर्श
बिल्कुल आदर्श नहीं हो सकता
दुनिया मानवीय संबंधों पर चलती है
और मानवीय सम्बन्ध में
मनुष्यों का मुँह देखना पड़ता है
रोता हँसता गाता, मुँह चिढ़ाता, बिचकाता
आदर्श को थोड़ा जेब में रख
मनुष्य को गले लगाना पड़ता है ।
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