शुक्रवार, 26 जनवरी 2018

अनादर्श

बिल्कुल आदर्श नहीं हो सकता
दुनिया मानवीय संबंधों पर चलती है
और मानवीय सम्बन्ध में
मनुष्यों का मुँह देखना पड़ता है
रोता हँसता गाता, मुँह चिढ़ाता, बिचकाता
आदर्श को थोड़ा जेब में रख
मनुष्य को गले लगाना पड़ता है ।

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