क्या अब समय नहीं आ गया है कि इनके हाथ से तिरंगा छीन लिया जाय ? इनके हाथों नहीं संभल रहा है इसकी जिम्मेदारी, भावना और गरिमा का भार !
चर्चिल ने कहा था वह मैं नहीं कह रहा । मेरा कहना है जनता और युवा को इससे खेलने न दिया जाय । इन्हें अधिकार ही न हो इसे लेकर Flag March करने का । इसे केवल शासकीय, राजकीय उपयोग तक सीमित किया जाय जिससे इसका आदर, मान सम्मान सुरक्षित रह सके, बच सके । बंद हो प्लास्टिक का यह कारोबार । कोई जन, जनसमूह, एनजीओ इसका display न करे । सब अपना भगवा, हरा नीला पीला काला लाल झंडा लेकर चलें । तिरंगा लेकर न चलें ।
(निराला कोपदृष्टि)
उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
बुधवार, 31 जनवरी 2018
तिरंगा
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें