मैं सवर्ण होकर यदि कम्युनिस्ट हूँ, तो इस शर्त पर कि सत्ता का हक़ दलितों को सौंपा जाय । Marxism दलित को वर्ग नहीं मानता और वर्ग के नाम पर सवर्ण कम्युनिस्ट पार्टियों पर काबिज़ हैं, यह मुझे पसंद नहीं । या फिर यदि शुद्ध कम्युनिस्ट हूँ तो मैं हिन्दू मुसलमान वाला मौजूदा वामपंथी नहीं हूँ । या तो पूरा मार्क्सवादी बनूँ , नहीं तो दलितवादी कम्युनिस्ट होना ही उचित ।
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