बुधवार, 5 जनवरी 2011

बच्चे नक़ल करते [ कवितायेँ ]

१ - बच्चे नक़ल करते हैं   
बच्चे नक़ल करके 
सीखते , बड़े होते हैं |
अब ऐसी स्थिति में ,
ऐसे समय में ,
उनके पास सीखने ,
पढ़ने , बड़े होने के 
कौन से साधन 
उपलब्ध हैं भला !
किसकी तो नक़ल करें वे ?
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२ - कमाता कोई नही है 
मेहनत  की कमाई में
भला क्या बरक्कत !
 ईमानदारी से कोई
लखपति - करोड़पति
नहीं बनता |
सब लूटते हैं , चोरी करते ,
डाका डालते हैं  ;
घूस लेते , भ्रष्टाचार -
स्कैम करते
अपने ही तरीके से 
छद्म या प्रकट 
सूक्ष्म  या स्थूल
हर कोई , छोटा बड़ा 
कर्मचारी - व्यापारी - अधिकारी 
तभी वह धनाढ्य बनता |
हराम की कमाई तो बस 
दो जून नमक - रोटी ही दे सकती है 
किसे संतोष इतने पर !
====================  [ कवितायेँ ]

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