१ - बच्चे नक़ल करते हैं
बच्चे नक़ल करके
सीखते , बड़े होते हैं |
अब ऐसी स्थिति में ,
ऐसे समय में ,
उनके पास सीखने ,
पढ़ने , बड़े होने के
कौन से साधन
उपलब्ध हैं भला !
किसकी तो नक़ल करें वे ?
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२ - कमाता कोई नही है
मेहनत की कमाई में
भला क्या बरक्कत !
ईमानदारी से कोई
लखपति - करोड़पति
नहीं बनता |
सब लूटते हैं , चोरी करते ,
डाका डालते हैं ;
घूस लेते , भ्रष्टाचार -
स्कैम करते
अपने ही तरीके से
छद्म या प्रकट
सूक्ष्म या स्थूल
हर कोई , छोटा बड़ा
कर्मचारी - व्यापारी - अधिकारी
तभी वह धनाढ्य बनता |
हराम की कमाई तो बस
दो जून नमक - रोटी ही दे सकती है
किसे संतोष इतने पर !
==================== [ कवितायेँ ]
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