* संस्कृति = जीवन जीने की सामूहिक जिद |
* बहुत उछल कर गिरने में चोट ज्यादा लगती है |
* बहुत उछल कर गिरने में चोट ज्यादा लगती है |
*यूँ पैर छूने की प्रथा में मुझे कोई सैद्धांतिक बुराई नहीं दिखती , लेकिन व्यव्हार में यह न ही रहे तो ठीक | ##
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें