५ - उवाच
और यदि लीक तोड़ना ही परिपाटी बन जाय तो लीक पर चलना भी परिपाटी को तोड़ना हो जाता है |
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१ - प्रश्न वाचक
क्या कारण है कि १९८४ के दंगों की बरसी पर [ जिसमे कुछ लोग मरे भी थे और तमाम लोग पीढ़ियों के लिए अपाहिज ] , मुसलमानों में कोई हलचल नहीं दिखाई पड़ती , जब कि ६ दिस . बाबरी बरसी पर वे पूरे देश को पुलिस की तैनाती से लबरेज़ कर देते हैं ? क्या बाबरी मस्जिद कोई हिन्दुओं का सोमनाथ मंदिर जैसा हो गया ? हिन्दू तो चलिए मूर्तिपूजा के लिए चिर –कुख्यात और अपमानित हैं , लेकिन मुसलमान कब से
मूर्तिपूजक हो गए ? क्या उन पर भी हिन्दुओं का भूत सवार हो गया और वे मुसलमान नहीं रह गए ?
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२ - [ बदमाशी ]
परधानों की एक पचायत ने लड़कियों को मोबाइल रखने पर रोक लगा दी है | उनका आदेश सही है या गलत ,यह मैं नहीं जानता | मैं कुछ कर भी नहीं सकता | उनका सहयोग मैं इस प्रस्ताव के साथ कर सकता हूँ कि उन्हें जब भी बात करनी हो , मेरी मोबाइल से कर लिया करें | उनका कोई पैसा भी खर्च नहीं होगा और चुपके से काम भी चल जाएगा |
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३ – यथाकथा
एक दोस्त बड़ा उदास दिख रहा था |
दूसरे ने पूछा –क्या बात है भाई ?
--क्या बताऊँ बहुत दिनों से मुझे हँसी आ ही नहीं रही है |
दूसरे ने तजवीज़ बतायी – किसी अख़बार में या वेब पर जाकर किसी उलूम का कोई फतवा क्यों नहीं पढ़ लेते !
तीसरे ने हंसकर कहा - मुझे कभी रुलाई नहीं आती |
तुम्हारे लिए भी तरीका है - खाप पंचायतों के निर्णय सुन लो |
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४ - शेर
शमा की तीरगी को देखा है
मुझे मत ले चलो उसके नीचे |
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५ - उवाच
"और यदि लीक तोड़ना ही परिपाटी बन जाय तो लीक पर चलना भी परिपाटी को तोड़ना हो जाता है | "
===========================================10-12-2010
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