शनिवार, 15 जनवरी 2011

लड़कियों को मोबाइल

५ - उवाच
और   यदि  लीक  तोड़ना  ही  परिपाटी   बन  जाय  तो  लीक   पर  चलना  भी  परिपाटी   को  तोड़ना  हो  जाता    है  |
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 १ - प्रश्न वाचक
क्या  कारण  है  कि  १९८४  के  दंगों  की  बरसी  पर [ जिसमे  कुछ  लोग  मरे भी  थे और तमाम लोग पीढ़ियों के लिए अपाहिज ]  , मुसलमानों   में  कोई  हलचल  नहीं  दिखाई  पड़ती   , जब  कि  ६  दिस . बाबरी  बरसी  पर  वे  पूरे  देश  को  पुलिस  की  तैनाती  से  लबरेज़  कर  देते  हैं  ? क्या  बाबरी  मस्जिद  कोई  हिन्दुओं  का  सोमनाथ  मंदिर   जैसा  हो  गया  ? हिन्दू  तो  चलिए  मूर्तिपूजा  के  लिए  चिर  –कुख्यात और अपमानित   हैं , लेकिन  मुसलमान  कब  से 
मूर्तिपूजक  हो  गए  ? क्या  उन  पर  भी  हिन्दुओं  का  भूत  सवार  हो  गया  और  वे  मुसलमान   नहीं  रह  गए  ?
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२ - [ बदमाशी  ]
  परधानों  की  एक  पचायत  ने  लड़कियों  को  मोबाइल  रखने  पर  रोक  लगा  दी  है  | उनका  आदेश  सही  है  या  गलत  ,यह  मैं  नहीं  जानता  | मैं  कुछ  कर  भी  नहीं  सकता |  उनका  सहयोग  मैं  इस  प्रस्ताव  के  साथ  कर  सकता  हूँ  कि  उन्हें  जब  भी  बात  करनी  हो , मेरी  मोबाइल  से  कर  लिया  करें  | उनका  कोई  पैसा  भी  खर्च  नहीं  होगा   और  चुपके  से  काम  भी  चल  जाएगा  |
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३  – यथाकथा
एक  दोस्त  बड़ा  उदास  दिख  रहा  था  |
 दूसरे  ने  पूछा  –क्या  बात  है  भाई  ?
--क्या   बताऊँ  बहुत  दिनों  से   मुझे   हँसी  आ   ही  नहीं  रही  है  |
दूसरे  ने  तजवीज़  बतायी  – किसी  अख़बार  में  या  वेब  पर  जाकर  किसी  उलूम  का  कोई  फतवा  क्यों  नहीं  पढ़  लेते  !
तीसरे ने हंसकर कहा - मुझे कभी रुलाई नहीं आती |
तुम्हारे लिए भी तरीका है  - खाप पंचायतों के निर्णय  सुन लो |
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४ - शेर
शमा  की  तीरगी  को  देखा  है 
मुझे  मत  ले  चलो  उसके  नीचे  |
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५ - उवाच
 "और  यदि  लीक  तोड़ना  ही  परिपाटी   बन  जाय  तो  लीक   पर  चलना  भी  परिपाटी   को  तोड़ना  हो  जाता    है  | "
===========================================10-12-2010
 

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