क्या कीजियेगा जुग सुरैया बाबू ! [ TOI 5/1/2011] , यह हिंदुस्तान देश ही ऐसा है | यह इसकी भलाई करने वालों का भी
अहसान नहीं मानता | याद कीजिये किस्सा जो संत बार -बार बिच्छू को पानी से बाहर निकलता बिच्छू बार -बार साधू को डंक मारता | अब यह देश एक बहुत बड़े डाक्टर , समाजसेवी , त्यागी - तपस्वी ,मानवाधिकार - कार्यकर्त्ता विनायक सेन के
लिए राज्य के खिलाफ खड़ा होकर देश में आग नहीं लगा रहा है , आप और तमामों की कोशिशों के बावजूद तो क्या किया जाय ? ऐसे में सब्र ही किया जा सकता है , या फिर उनकी रिहाई नक्सलियों के ऊपर छोड़ दी जाय |
ऐसा ही तो इस कमबख्त देश ने अयोध्या निर्णय के समय भी किया था | तब भी इसने कोई अराजकता नहीं फैलाई
और हम आप लोग कितना निराश हुए थे ! क्या किया जाय ? हमको तो इसी देश में रहना है | अब आप कहते हो कि न्यायपालिका ही गलत है | तब तो आप विनायक सेन का केस ऊपर के अदालतों में भी नहीं ले जांयगे , वरना आप लोगों के पास सच्चर जैसे एक से एक बड़े वकील और उनके समर्थक हैं , तो हो सकता था , बल्कि निश्चित था , कि वह छूट जाते | लेकिन अब क्या करें ? इसके लिए दुःख ही मना सकते हैं कि डॉ सेन एक निचली अदालत के फैसले के कारण उम्र क़ैद बिताएंगे |
याद कीजिये , संजय दत्त का मामला भी कुछ ऐसा ही था | उसके जानने वालों ने उसके घर में कुछ हथियार रखे थे ,
जिसके बारे में वह अनजान था | उसके पक्ष में तो आप लोग बिल्कुल नहीं बोले थे | चलिए , अब बोले तो बोले | पर अब देश आप के पक्ष में नहीं खड़ा हो रहा है तो क्या करें ? - यह कृतघ्न देश !
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