शुक्रवार, 7 जनवरी 2011

बचपना

* मुझमे बचपना बहुत है |
    जानना चाहता हूँ की मैं बूढ़ा कैसे बनूँ |
          ============
*  मैं कहीं तो   नही फिट बैठ पाया | न जाति में न सम्प्रदाय में , न कुल न परिवार में , न गाँव में न देहात  में ,
    न बोली  में न भाषा में , न आयु में न लिंग में , न शिक्षा - अशिक्षा में , न हिन्दू - मुसलमान में ,
    न धर्म में   न राजनीति में , न अमीरी में न गरीबी में , न पठन में न लेखन में , न साहित्य की किसी विधा में ,
    न हस्तलेखन    में न ब्लॉग में , और कहाँ तक गिनाऊँ , कहीं भी तो नहीं मैं एडजस्ट हो पाया |
=============================end 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें