मंगलवार, 4 जनवरी 2011

इंतजार [ कविता ]

१ -    बिस्तर बिछाता हूँ   
         इंतजार कर
          थक हार कर , फिर
             समेट ले जाता हूँ  |
                        ****

 २ - ईश्वर की बातें
      इसलिए सच हैं , क्योंकि
      वह स्वयं झूठ है
      और कुछ नहीं |
      कुछ नहीं की ,
     कुछ नहीं होने की ,
     शून्यता की स्थिति में
     कोई भी आएगा
     वह सच ही कहेगा
     तुम भी , मैं भी , वह भी  |
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३ - मैं  कह नहीं रहा हूँ
     इसका मतलब यह नहीं है
     की मुझे कुछ
     कहना नहीं है
     कहना तो है
    पर कह नहीं रहा हूँ  |
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४ - दरअसल होता यह है
     की हम या तो
     किसी  के होते हैं ,
     या फिर , उसके नहीं होते |
    मीन - मेख निकलना
     संभव नहीं होता , उसमें
    जिसके हम होते हैं ,
    और सहमति होते हुए भी
     मुश्किल होता है खड़ा होना
     साथ उसके
     जिसके हम नहीं होते  |
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