१ - बिस्तर बिछाता हूँ
इंतजार कर
थक हार कर , फिर
समेट ले जाता हूँ |
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२ - ईश्वर की बातें
इसलिए सच हैं , क्योंकि
वह स्वयं झूठ है
और कुछ नहीं |
कुछ नहीं की ,
कुछ नहीं होने की ,
शून्यता की स्थिति में
कोई भी आएगा
वह सच ही कहेगा
तुम भी , मैं भी , वह भी |
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३ - मैं कह नहीं रहा हूँ
इसका मतलब यह नहीं है
की मुझे कुछ
कहना नहीं है
कहना तो है
पर कह नहीं रहा हूँ |
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४ - दरअसल होता यह है
की हम या तो
किसी के होते हैं ,
या फिर , उसके नहीं होते |
मीन - मेख निकलना
संभव नहीं होता , उसमें
जिसके हम होते हैं ,
और सहमति होते हुए भी
मुश्किल होता है खड़ा होना
साथ उसके
जिसके हम नहीं होते |
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