उवाच : * मुझे इस तथ्य में त्रुटि लगती है कि अपने बच्चे प्यारे लगते हैं | दरअसल प्यारे बच्चे प्यारे लगते हैं , वे किसी के भी हों | बदसूरत -बद्सीरत अपने बच्चे भी अप्रिय लगते हैं|
* जब तक हम यह मान नहीं लेंगे कि अंग्रेजी भी संसार की एक अच्छी भाषा है , तब तक हम अपनी भाषा से प्रेम नहीं कर सकेंगे |[प्रेम के लिए प्रतिद्वंद्विता में कोई होना चाहिए, यथा -उसकी साड़ी मेरी साड़ी से सफ़ेद क्यों है ?]
* बड़ी ख़राब है सरकार जो साहित्त्यकारों पर ध्यान नहीं देती , उनकी सेवा -सहायता नहीं
करती , बात नहीं मानती | ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मैं भी साहित्त्यकारों की लाइन में होने जा रहा हूँ |
* सब सोचकर तो नहीं किया पर सोचा यह कि जब ज्यादा कूड़ा लिखूंगा तो उसमे से कुछ तो कबाड़ निकलेगा ही !
* प्यार से बड़ी मूर्खता और कोई नहीं | लेकिन यदि यह मूर्खता न होती तो ...! !
* पैदा हुए , जिए और मर गए | इसमें कोई बुरी बात नहीं है , यह भी ज़िंदगी है | लेकिन सोचना तो यह है कि जब हम जीते हैं तो प्रकृति का कुछ खर्च होता है हमारी जिंदगियों पर | हवा -पानी से लेकर रीति -नीति का बड़ा क्षरण करते हैं हम | इसीलिये सयानों ने उपदेश दिया जीना -मरना भर पर्याप्त नहीं है | संसार - समाज को बदले में कुछ दिया भी जाना चाहिए नुक्सान की भरपाई करने के लिए | इसे मनुष्य का आवश्यक कर्त्तव्य बताया गया है |
* कैसा तो हांड-मांस -चाम का बना हुआ है शरीर ! भगवन राम ,माता सीता का शरीर भी तो
ऐसा ही रहा होगा !
* मेडिकल कालेजों के बाहर भीतर की दशा सुनकर तो भय लगता है |इन हालात में यहाँ क्या
पढ़ाई होती होगी भला ! इनसे निकले डाक्टर भला क्या चिकित्सा - सेवा करेंगे ?
* राजनीति ही नहीं ,दर्शन भी एक व्यवस्था देते हैं मानव समाज को | उसके रहने -जीने के लिए
अनुकूल वैचारिक वातावरण |
* मेरा या मेरी संस्था का नाम DRAWBACK होना चाहिए | dragback की लय में | मैं दुनिया भर के
विचारों के पैर / टोंग खींचकर उसे सही जगह पर ला देता हूँ |
*[LAUNCH ] * हमारी पार्टी साथी पार्टी होनी चाहिए जो जनता के साथ -साथ चले |उस पर शासन जैसा
न करे ,न उनका विकास करे |हम केवल जनता की इच्छानुसार उन्हें उनका वांछित लक्ष्य प्राप्त करने में सहायक बनें |
* जो बात गाँधी जी ने अंग्रेजों के लिए कही थी , वह तो आज भारत के धनिकों से भी कही जा सकती है | हम इतने गरीब लोगों के कपड़े अकेले पहनते हैं कि गाँधी को नंगा रहना पड़ता है |
* अपनों से कम परायों से घनिष्टता का सम्बन्ध ज्यादा वैज्ञानिक है |
* गज़ब का दार्शनिक है भारतीय लोक -समाज ! गावों में लोग मृत्यु को इतनी सहजता से लेते हैं कि आश्चर्य
होता है |
* मैं दलित नहीं हूँ ,दलितपन को मैंने स्वयं अपनाया ,स्वीकार किया है | मुझे देखकर ,मेरा नाम सुनकर क्या
आपको नहीं लगता कि मैं दलित हूँ ?
* मैं मानता हूँ , मुझे विश्वास हुआ है कि बिना किसी छद्म के भी जिंदगी जी जा सकती है |
* हम ऐसा क्यों सोचें कि जैसा हम सोचते हैं वैसा ही सब करने लगें ?
* सूचना देने की एक सीमा ज़रूर रखो | दुनिया को उतना ही बताओ जितना उसमें सुनने की सामर्थ्य है |
* मेरी जिंदगी का मकसद मेरे जिंदा रहने के अलावा भी कुछ है , जो जिंदा रहने से ज्यादा महत्वपूर्ण है |
* आप राजनीति में आना चाहते हैं ? नेता बनना चाहते हैं ? मेरा एक अत्यंत उपयोगी सुझाव है आपसे |
आप अखबारों में ' संपादक के नाम पत्र ' पढ़ना शुरू कर दीजिये |
* जो मेरी आज़ादी की बात करता है वह मेरा दुश्मन है | मिली तो थी हिंदुस्तान को आज़ादी , कितनी
मारकाट -दरबदर के बाद ! तो क्या मिल गया भारत को ? सारी आजादी नेताओं की जेब में सैट गयी | फैशन
हो गया है आजादी का आकर्षण | जो आजादी चाहता है ,आज़ाद होने की सलाह देता है वह कोई हितैषी
नहीं , नेताओं का दलाल है | ढूंढना ही है तो उम्दा गुलामी ढूंढो |
* Democracy may ,sometimes ,mean minimizingof independence. Individual freedom , more often , tends to
diminish democracy.
* LIFE IS ALL ABOUT A QUEST FOR SEX . [gibberish ]
लिखते रहिये
जवाब देंहटाएंokay , I am reaching on 8/11
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