1 तुम्हारे लिए
मैं इससे ज्यादा कुछ
कर ही नहीं सकता था
जितना मैंने किया
तुम्हारे लिए|
मैं ज्यादा से ज्यादा
सायकिल ले कर-
जहाँ तुम कहती
भाग दौड़ कर सकता था,
दूध अंडा ब्रेड
फ़ौरन ला सकता था;
या जल्दी से थोड़ी हरी धनिया|
तुम्हारे लिए रिक्शा बुला सकता था,
गैस की लाइन में खड़ा हो सकता था,
कपड़े प्रेस कर सकता था
तुम्हारी किताबें झाड़ पोछ सकता था
कुर्सी मेज़ इधर से उधर कर सकता था
बस, जो कर सकता था , किया
वह तुम जानती हो
मुझे इस का कोई
मलाल भी नहीं है के
में तुम्हे होंडा से शहर नहीं घुमा सका
और तुम सायकिल पर
बैठ नहीं सकती थी
मुझे कोई शिकायत नहीं
बहुत था जितना तुमसे मिला
मुझे, तुम्हारा नैकट्य तुम्हारा सान्निध्य
इस से ज्यादा मुझे
तुमसे मिल भी नहीं सकता था
क्योंकि इससे ज्यादा मैं
कुछ कर ही नहीं सकता था
जितना मैंने किया
तुम्हारे लिए | |
२ दो मिनट
मैं तुमसे
छीन ही लूँगा
तुम्हारा
दो मिनट का मौन
अपनी मृत्यु के पश्चात्|
३ स्थायी कद
आज मेरे बेटे ने
अपना कद नापा
वह अन्दर से दौड़ कर आया
पापा, मैं मम्मी के
दूध बराबर हो गया हूँ
अब आप से नापूं
वह मेरे कलेजे तक था
और बड़ी बहन के
चश्मे के बराबर|
मैंने कहा, बेटे
यह तो तुम्हारा स्थायी कद है
इससे छोटे तो तुम कभी न थे
इससे बड़े तो तुम
कभी न हो पाओगे
४ धोबी
कभी एक धोबी होता था
उसका एक घर होता था
उसका एक घाट होता था|
उसका एक कुत्ता भी होता था
जो न घर का होता था
न घाट का होता था|
अब सिर्फ कुत्ते होते हैं
उन्ही के घर होते हैं
उन्ही के घाट होते हैं
और विडम्बना
उनका कोई धोबी नहीं होता
५ चिराग
जब मैं किसी बच्चे को
सर पर रोशनी का हंडा रखे
बारात में शामिल देखता हूँ
तो मुझे अजीब अनुभूति होती है
आहा! दीपक के सर पर चिराग!
चलो इसी बहाने सही
एक बिना तेल के चिराग
की लौ जगमगा उठी
मैं चिराग तले अँधेरे में छिपे
चिराग को ढूंढ़ निकालता हूँ
फिर तो मुझे सेहरा बांधे
घोड़े पर सवार दूल्हा
अदृश्य लगने लगता है
और मेरी आँखों में
चमकने लगता है
एक नन्हा चिराग
चिराग के नीचे चिराग|
६ प्रयास
मुझसे
प्रार्थना करने के लिए
कहा गया था,
मैं मूरख
प्रयास करने लग गया
७ गणेश
मैं जीवन भर
भगवान को भोग लगता रहा
उन्हें फल फूल
मेवा मिष्ठान्न खिलाता रहा
उन्होंने कभी कुछ नहीं खाया
मेरी आस्था बनी रही,
लेकिन मित्रों,
आज उन्होंने
मेरे हाथ से
एक चम्मच दूध पी लिया
मेरा विश्वास डगमगा रहा है
८ कुत्ता
देखो युधिष्ठिर देखो
तुम्हारे पीछे एक
कुत्ता लगा हुआ है
धर्म नाम है उसका
९ शुक्रगुजार
किसी के घर
एक वक़्त खा लेता हूँ
उसका शुक्रगुजार हो जाता हूँ
देश का तो रोज़ ही खाता हूँ|
१० कफ़न
मैं एक कफ़न हूँ
जिंदा ही जला दिया जाता हूँ
एक मुर्दा लाश के साथ
गोया मैं एक जिंदा लाश हूँ|
लेकिन मुझे गर्व है की
मैं शव का देता हूँ कब्र तक साथ
और उसके खाक होने तक
उसकी लाज ढके रहता हूँ
तथा रख बन कर भी
तन से लगा रहता हूँ|
फिर भी मुझे खेद है
कोई मुझे जीवन में
प्यार नहीं करता
आखिरी साँस तक
स्वीकार नहीं करता
बस चंद शहीदों के सिवा|
वही तो मुझे
अपनाते हैं जीते जी
और मैं भी उन्हें
कभी मरने नहीं देता|
११ अयोध्या
सारे योद्धा
अयोध्या में!
डरपोक कहीं के|
१२ तोड़ो तनिक
मस्जिद
तो तोड़ दी
तोड़ो तनिक
अपनी जाति
तो जानें|
१३ कहाँ तक हारता हूँ
ठीक है तुम
घृणा के बीज बोओ
मैं तो
प्रेम बिखराता हूँ
देखता हूँ तुम
कहाँ तक जीतते ho
देखता हुनमें
कहाँ तक हारता हूँ!
१४ कविता होना
मैं कविता करना
नहीं जानता
कविता होना
जानता हूँ.
१५ खजूर
मैं गिरूंगा तो
ये खजूर मुझको रोकेगा
मैं गिरूंगा तो
ये खजूर मुझको रोकेंगे
तो फिर मैं
क्यों न आसमान
की खबर लूँ?
१६ लूपहोल
मैं एक
आकाश जीता हूँ
और उस आकाश में
कोई छेद नहीं है
१७ दोस्तों को सुनाता हूँ
मैं जानता हूँ हँसेंगे लोग
सुनकर मेरी पीड़ा
फिर भी
मैं अपने दोस्तों को
अपना दुःख
तार तार करके सुनाता हूँ
थोड़ा हंस ले बेचारे
इसी बहाने
आखिर दोस्त अहिं मेरे
वरना उन्हें ही
कहाँ हँसी नसीब|
१८ चुहिया
सुख के दिन
एक चुहिया
दुखों की रात
एक पहाड़
और हम सब
एक चुहिया के लिए
खोदते जाते हैं
सारा पहाड़
१९ दुखों का नेता
दुःख मेरा पीछा
नहीं छोड़ते,
तो क्या मुझे
नहीं कहने देंगे आप
की मैं दुखों का
नेता हो गया हूँ?
२० किराये पर
घर बनवाया था
सोचा था
फ़ैल कर रहेंगे,
नहीं हो पाया
किराये पर उठाना पड़ा
२१ विकास
यदि आप ने
अपनी दोनों चप्पलें
गलत पांव में
पहन रखी हैं
तो फिर उन्हें
ठीक करने के लिए
कम से कम
एक पाँव
'ज़मीन" पर रखना होगा |
२२ अहंकार
२२ अहंकार
जब सूर्य मेरे
पीठ पीछे होता है
मेरी परछाई मुझे
बड़ी लम्बी दिखाती है
लेकिन जब ज्ञान का उजाला
मेरे सामने होता है
मेरा वह अहं
कहीं नहीं होता|
२३ बुरी दशा
जिनके चार लड़के हैं
उनकी बुरी दशा है
जिनके चार लड़कियां हैं
उनकी बुरी दशा है
जिनके तीन लड़के एक लड़की है
उनकी बुरी दशा है
जिनके एक लड़का तीन लड़कियां हैं
उनकी बुरी दशा है
जिनके दो लडकियाँ, दो लड़के हैं
उनकी बुरी दशा है
जिनके दो लड़के , दो लड़कियां हैं
उनकी बुरी दशा है
जिनके दो लड़के , एक लड़की हैं
उनकी बुरी दशा है
जिनके एक लड़का , दो लड़कियां हैं
उनकी बुरी दशा है
जिनके एक लड़का , एक लड़की हैं
उनकी बुरी दशा है
जिनके कोई लड़का- लड़की नहीं हैं
उनकी बुरी दशा है
जिनके कई बीवियां हैं
उनकी बुरी दशा है
जिनकी कोई बीवी नहीं
उनकी बुरी दशा है
सबकी बुरी दशा है
२४ अनपढ़
जब मैंने तुमसे
प्यार किया था
विश्वास करो
मैं कोई किताब
पढकर नहीं गया था
२५ इस उम्र में प्यार
अब इस उम्र में
प्यार एक और
मोड़ लेता है|
मैं उसके
गठिया के दर्द का
हाल पूछता हूँ|
वह मेरी
दमा की दवा
तलाश करती है|
२६ महत्वपूर्ण भूमिका
मैं तुम्हारी जिंदगी में
महत्वपूर्ण भूमिका
अदा करुँगी
उसने मुझसे कहा था
विदा होते समय,
अब वह कहाँ है?
कैसी है?
है, या नहीं है?
मुझे नहीं मालूम|
मुझे पता है तो बस
यह कि
वह मेरी ज़िन्दगी में
महत्वपूर्ण भूमिका
अदा कर रही है|
२७ बिल्ली के ख़ानदान
ज़रूर होगे तुम
शेर, बबर शेर अपने आप में
लेकिन मैंने
जीव विज्ञान से जाना
उसे तुम भी जन लो
तुम दरअसल
बिल्ली के खानदान के हो
२८ तारे दूर के
कुछ लोग हमें
बहुत छोटे दिखाई देते हैं
तारों कि तरह |
कुछ लोग हमें
बहुत बड़े और प्रकाशवान
लगते हैं
ठीक सूरज कि तरह |
अब किसी
कक्षा छह के छात्र से भी पूछो
तो जानो कि
बहुत से तारे
सूर्य से लाखों गुना बड़े हैं |
२९ वह जो औरत
वह जो औरत
सड़क पर अकेली
जा रही है
वह मेरी
माँ बहन थोड़े ही है|
३० माँ के पास
मैं मरूँगा नहीं
मैं तो अपनी
स्वर्गवासी माँ के पास जाऊंगा
चुपके से पीछे जा कर
उसका आँचल खींच लूँगा
वह चौंक कर मुझे देखेगी
और अपने
सीने से चिपका लेगी
३१ हाल-चाल
शुभचिंतक
हाल पूछते हैं-
बेटी कि शादी हुई?
बेटा काम से लगा?
कोई नहीं पूछता
बेतेका ब्याह हुआ?
बेटी किस शहर में नौकरी करती है?
३२ रस्सी कूदती लड़कियां
रस्सी कूदती हैं लड़कियां
रस्सी कूदती ही हैं लड़कियां
रस्सी कूद जाती हैं लड़कियां
रस्सी कूदती जाती हैं लड़कियां
रस्सी कूद जाती रही हैं लड़कियां
रस्सी कूदती जाती रही हैं लड़कियां
फिर विश्वास नहीं होता
कैसे इन रस्सियों में
बंध जाती है लड़कियां
३३ लड़की लेखिका
लड़की ने कहा - मैं लेखिका बनुब्गी
डायरी, आत्मकथा, उपन्यास लिखूंगी,
मामा लोग डर गए
चाचा सब थर थर कांपे
गुरुजन परिजन गिड़गिड़ाने लगे
वृद्धजन हाथ जोड़ कर खड़े हुए
पडोसी माफ़ी मांगने लगे
माँ समझाने लगी
भाई चींखने लगा
बाप चिल्लाने लगा-
नहीं लड़की नहीं
तुम लेखिका नहीं बनो |
प्रकाशकों ने
एडवांस उड़ेल दिए|
३४ बाएं
मैं बाएं मुड़ा
फिर और बाएं
थोड़ा और बाएं
अरे! यह तो
दक्षिणपंथ का इलाका है!
३५ बाएं
इंडिकेटर
बाएं का
दिखा रहें है
मुड़ने को जा रहे हैं
दायें कि ओर
३६ ज़माना बदलेगा
कोई कहता
ज़माना यूँ न बदलेगा
कोई कहता
ज़माना यूँ भी न बदलेगा
मैं कहता हूँ
ज़माना यूँ तो बदलेगा
आखिर
ज़माना क्यूँ न बदलेगा?
जब काफ्का का
कायांतरण हो सकता है
तो फिर समाज का
रूपांतरण क्योंकर नहीं होगा?
३७ अन्याय के विरुद्ध
मैं जानता हूँ इससे
कुछ भी होने हवाने वाला नहीं है
लेकिन फिर भी
कुछ हो सकने कि संभावना का गला
मैं हाथ पे हाथ रख कर क्यों घोटूं?
मैं चीखना चिल्लाना बंद कर के
अनीति को मूक समर्थन क्यों दे दूँ?
हाथ पाँव पटकना रोककर
निरंकुशता को
क्यों निरापद कर दूँ?
मैं उस चिंगारी को क्यों बुझाऊँ
जो कल आग बनने वाली है?
और मेरे दोस्तों!
हर व्यवस्था मूंज का वह थाला है
जिसे खाद के रूप में चाहिए
आग, और आग|
३८ पहले वे आये
पहले वे यहूदियों के लिए आये
तब मैं बोला
जब कि मैं यहूदी नहीं था
फिर वे पारी पारी से
ईसाइयों, हिन्दुओं, मुसलमानों
के लिए आये
मैं हर बार सब के लिए बोला
जब कि मैं ईसाई,
हिन्दू या मुसलमान नहीं था|
अब वे मेरे लिए आ रहे हैं
तब देखना, मेरे लिए
किसी की भी बोल नहीं फूटेगी
क्योंकि मैं सेकुलर हूँ
३९ कमोड
कमोड साफ करता हूँ
चमक जाता है
खुशी होती है|
४० शहीद
शहीद
मर गए
चिरायु हैं
वे गिद्ध नहीं
जटायु हैं |
४१ केले के पत्ते
केले के पत्ते सा विशाल
मेरी माँ का ह्रदय
केले का तना
मेरे बाप की बांह
और इन के बिच
छीमियों के समान
पलते पुसते
हम उनकी सन्तान
४२ पीली पत्ती
पीली पत्ती सी
पड़ी लडकी
सूख कर कांटा हुई,
मैंने उससे कुछ नहीं कहा
छूने की हिम्मत नहीं हुई,
मुझे रोटी की पोटली खोलते देख,
वह हरी हो गयी
हरीतिमा नाम है लडकी का
हरियाली काम है रोटी का |
४३ ढक्कन
गलत जो बंद हो
शीशी का ढक्कन
बड़ी मुश्किल से खुलता है
दिमागें बंद हैं!
४४ चिड़िये की नज़र
निस्संदेह, मेरी नज़र
चिड़िये की आँख पर थी
लेकिन
तीर कैसे चलाता
चिड़िये की नज़र जो
मेरी आँख पर थी
४५ चुम्बक
यह दुनिया
चुम्बक के सिद्धांत पर
और चुम्बन के मार्फ़त
चाल रही है|
प्रश्न है -
क्या अश्लील?
प्रेम या युद्ध?
उत्तर निर्विवाद
युद्ध
४६ बच्चे धूल
बच्चे धूल उड़ाते चलते हैं
हम धूल से बचते
बच्चे
बड़े होते जाते हैं
४७ बेटी
उन्हें बेटी
चाहिए नहीं
और बेटा
किसी काम
आयेगा नहीं
४८ इबारत
मैं हिंदी अच्छी तरह जानता हूँ
संस्कृत समझ सकता हूँ
अंग्रेजी का
पर्याप्त ज्ञान है मुझको
उर्दू को उसी की लिपि में
पढ़ लेता हूँ,
लेकिन मैं आज तक
किसी के माथे पर लिखी
यह इबारत नहीं पढ़ पाया
की वह किस जाति का है !
४९ शुभ लाभ
मैंने महाजनों के
घर देखे हैं
और तिजोरियां भी.
यदि इनसे कुछ होता है
तो आओ, मेरे प्यारे
मजदूर- किसान- कामगार
तुम्हारे माथे पर लिख दूँ
'ऊँ शुभ लाभ'
और तुम्हारे चेहरे पर
बना दूँ एक बड़ा सा
स्वस्तिक का निशान
पीठ पर गोद दूँ
श्री लक्ष्मी जी सदा सहाय!
( और कहीं तुम्हारी
भूल चूक लेनी देनी )
५० कवि कर्म
आप के विरोध में उस सशस्त्र विद्रोह में
शुरू से अंत तक मैं कहीं शामिल नहीं था
आप मुझे नाहक पीट रहे हैं
बेवजह जेल में ठूंस रहे हैं
विश्वास कीजिए जब भीड़ ने
आपके रंगमहल पर हमला बोला था
उसके कुछ देर पहले ही
मैं अपनी कलम तोड़ बैठा था
और उस समय जब आपने
विद्रोह में शामिल अंतिम व्यक्ति का भी सर
बुरी तरह कुचल दिया था
तब मैं तो बस उठ कर
नये सिरे से अपनी पेंसिलें
छीलने में लग गया था
आप मुझे गलत सजा दे रहे हैं
आप के विरोध में उस सशस्त्र विद्रोह में
शुरू से अंत तक
कहीं भी मैं शामिल नहीं था
५१ शाबाशी
मेरे हाथ
मेरी पीठ पर
पहुँचते नहीं
मेरे हाथ मुझे
शाबाशी नहीं देते
५२ तय रहा
तो अब
यह तय रहा
कि इस जिंदगी को
जीना है
५३ चिड़िया उड़
चिड़िया
उड़ने जा रही है
चोंच में
तुम्हारी याद का
एक दाना है
५४ औरतें पैदा
मुझे अच्छा लगता है
जब लड़कियां
पैदा होती हैं
मुझे अच्छा लगता है
जब कोई औरत
अपने प्रेमी के साथ
भाग जाती है
५५ बूढ़ा
अब मुझे
घर के अंदर घुसते समय
खांसने -खखारने की
ज़रूरत नहीं रही
बहू-बहूटियाँ, घूंघट की आड़ से
बात कर लेती हैं
और नवयुवतियां
मेरे पास, बिलकुल पास भी
बैठने में नहीं हिचकती
समझ में नहीं आता
मैं बूढ़ा हो चला हूँ
या समय मुझे छोड़ कर
आगे निकल गया है !
५६ झूठ
सावधान रहना होगा
अब हर झूठ
सत्य का भेष धर कर
सामने आ रहा है
५७ मेरे साथ
कविता तो क्या
संवेदना की दुनिया में
ले चलूँगा तुम्हें
चलोगे न मेरे साथ...
५८ युद्ध
आप मुझसे
जीतेंगे कैसे?
जब मैं आप से
लडूंगा ही नहीं!
५९ तितली
बहुत दिन हुए
एक दिन एक तितली
उड़ कर आयी और
मेरी आँखों में बैठ गयी
फिर धीरे धीरे
पलकों की पंखुड़ियों में
बंद हो गयी|
तब से जान गया हूँ
मुझमे भी पराग है
६० भवसागर
एक पत्थर पर
तुम्हारा नाम लिख लेता हूँ
उसे रस्सी से लपेटकर
गले में डाल लेता हूँ
सोचता हूँ
भवसागर पार हो जाऊंगा
और यह देखो
पर हो भी जाता हूँ |
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THE END
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