सोमवार, 4 मार्च 2013

Nagrik Blog 4 March 2013


* Good Morning friends. For today " LOVE  AFFAIR " is my organization - 'प्रेम व्यवहार' | Understand ?

* Humanists means - men & women of high moral stature .

[ कविता ?]
* धूल में 
 मिला देगा 
आपको यह आदमी ,
आप 
मनुष्य को 
बहुत कम करके 
आँक रहे हो |
# # 

* अंत तक यही इच्छा रहेगी कि इन्सानियत का दामन हाथ से छूटने न पाए |
[मानवादी]

* सत्य ने मार दी ज़िन्दगी,
नाटकों ने जिया ज़िन्दगी |

* मैं उग्र नाथ , भारत का एक लघुतम नागरिक | अपनी कमाई खाता हूँ , अपना सोचा लिखता हूँ |
[निजी ]

१ - हम लोगों का जो आन्दोलन है उसे मानववादी [ HUMANIST] कहते हैं | लेकिन हिंदी में इसे बोलने में दिक्कत होती है | बोलो मानव वादी , सुनाई देता है मानवादी | तो इसे मानवादी ही क्यों न कहें ?
२ - इसके अतिरिक्त यदि हम परिभाषित करना चाहें कि हम क्या करते हैं तो क्या उसे धार्मिक आन्दोलन कहें, जब कि हम करते तो वही हैं ? लेकिन आजकल धर्म और धार्मिक आन्दोलन का नाम लेना तो अपने पैर काटने जैसा काम ही जायगा | इसलिए हम अपने काम को " नैतिक आन्दोलन " की संज्ञा दे सकते हैं |  
३ - आजकल एक काम और बहुत कठिन है | संस्था - संगठन बनाना | विस्तार बताना संभव नहीं | तो हम अपने संगठन का नाम " व्यक्तिगत सम्बन्ध परिषद् " रखें | किसी से व्यक्तिगत सम्बन्ध रखने में तो कोई ऐतराज़ नहीं है , जो ऐसा चाहें | इसमें किसी विचार, वाद, सिद्धांत के प्रति अटैचमेंट की कोई शर्त नहीं | बस निजी जान पहचान, हाल चाल बरक़रार रखना, एक दूसरे के यथासंभव काम आना |     

* जब मैं कहता हूँ की भारत हिन्दू राष्ट्र है, तब उसका कारण धार्मिक - सांस्कृतिक नहीं , राजनीतिक होता है  | यह अलग बात है कि जब यह हिन्दू राष्ट्र है तो इसे लोकतंत्र के अनुसार हिन्दू राज्य होना ही है, या होना ही चाहिए , भले संविधान में सेक्युलर लिखिए या अपनी ख़ुशी के लिए इस्लामी राज्य लिख लीजिये | मैं यह कह रहा था कि यहाँ आप चाहे कितना ही वैज्ञानिक सत्य संभाषण कर रहे हों, आप जनता को गोमांस  खाने के लिए सरकारी विज्ञप्ति नहीं प्रसारित कर सकते | ईश्वर के अस्तित्व /अनअस्तित्व पर खुली चर्चा बेशक हो सकती है, पूरे देश को नास्तिक बना सकते हैं लेकिन धर्म कि आवश्यकता / प्रासंगिकता पर प्रश्नचिन्ह नहीं उठा सकते | आप यह नहीं कह सकते कि रामसेतु समुद्र में नहीं था | यह राजनीतिक सत्य हुआ या नहीं, भले ही आप का सत्य कितना ही वैज्ञानिक हो |      

* पहले मुहावरा होता था - ' सारे कुएँ में भांग पड़ी है ' | अब कहा जा सकता है - ' सारे कुएँ में मार्क्स पड़े हैं' |

" खाते हैं ब्राह्मणवाद की ,
गाते हैं मार्क्सवाद की | "
(उवाच)

* कुछ लगी थी इधर, कुछ उधर लग गयी ,
आदमी को आदमी की नज़र लग गयी |

* काश इतना सरल होता मसअला,
पार हम भी कर न लेते मरहला ?

* विश्व में विगत में कई सभ्यताएँ हुई हैं | माया सभ्यता , Roman Civilization , सिन्धु घाटी की सभ्यता इत्यादि | और उनका प्रभाव आज की सभ्यता पर अवश्य पड़ा होगा | मैं सोचता हूँ क्या इसी प्रकार " नास्तिक / अनीश्वरवादी सभ्यता " का विकास नहीं हो सकता , जिसका असर आगामी पीढ़ियों की सभ्यता पर पड़े ?

[ कथानक ]
* एक वृद्ध व्यक्ति अपने दोस्त से अपने पुत्र का रवैया बयां करता है कि उसके बहू बेटे उसके साथ किस तरह दुर्व्यवहार करते हैं | और उम्मीद करता है की उसका दोस्त उससे सहानुभूति प्रकट करेगा और बहू बेटे की इसके लिए निंदा करेगा |
लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ | उल्टे दोस्त ने उलाहना दिया - हो न हो भाई , तुमने भी अपने माता पिता के साथ ऐसा ही व्यवहार किया होगा | किया था या नहीं, कुछ याद करो ?  अब जब अपने ऊपर बन आई तब पुत्र का कर्तव्य याद आ रहा है |

* यदि आपको लगे की आपका पति या आपकी पत्नी किसी और के प्रति आसक्त है तो चिंता मत कीजिये | उसे हंसी में उड़ा दीजिये | वह काम भाव का क्षणिक उद्रेक भर है | सब ठीक हो जायगा | प्रेम जैसा कुछ नहीं होता | लौट कर बुद्धू / बुद्धी घर वापस आ जायेंगे |

* महा ' काम ' मय सब जग जानी ,
करहु प्रनाम जोरि जग पानी |

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