उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
मैं विचारक नहीं, व्यक्ति हूँ मैं विचारणीय !
विचारणीय उन अर्थों में जिसमें मनुवादी "ताड़न" शब्द का भाव बताकर तुलसी बाबा के dgspn- "ताड़न के अधिकारी" का बचाव करते हैं ।
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