उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
मंगलवार, 24 मार्च 2020
कोरोना
भक्तो, और संघियो! आँखें खोलो! अब तो सेक्युलरवाद, धर्मनिरपेक्षता का आदर करो ! पालन करना, हृदय में धारण करना सीखो ! आदमी आदमी बराबर है । सबक खून एक है । मानव जाति एक ही प्रकृति की संतान है । अब तो मानो!
#कोरोना
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