उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
मैं प्रेम को ही आदर समझता हूँ और आदर को ही प्रेम समझता हूँ । (बतर्ज़ गाँधी जी :- सत्य ही ईश्वर है और ईश्वर ही सत्य है ।☺️) - - - उग्रनाथ
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