स्थिति तो आशावादी है, इसलिए मैं निराश नहीं हूँ । लेकिन निराशावादी बात जरूर कह रहा हूँ ।-
अब हमें नास्तिकता के प्रचार की ज़रूरत नहीं है। इसका प्रचार तो नन्हे से, ईश्वर की तरह से ही 'न दिखने वाले वायरस' ने सशक्त तरीके से कर दिया है । जिसके पास तनिक भी बुद्धि और अनुभव क्षमता हो वह बड़ी सरलता से नास्तिकता को प्राप्त हो सकता है, यदि वह चाहे । इसलिये मैं तो इस group को बंद करने की सलाह दूँगा । क्योंकि अब इतने साक्षात उदाहरण के बाद भी कोई नास्तिक न हो जाय (और होंगे भी नहीं), तो हमारे प्रचार प्रसार और कहने से भी नहीं होंगे । फिर आवश्यकता क्या है ऐसा निष्फल प्रयास करने की? हमें अब भगत सिंह, राहुल सांकृत्यायन और प्राचीन लोकायतन से क्षमा माँग लेनी चाहिए । प्रणाम गुरुदेव !
बहरहाल, मैं व्यक्तिगत तो यह group छोड़ने का मन बना चुका हूँ । - (उग्रनाथ नागरिक)
उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
शुक्रवार, 27 मार्च 2020
प्रचार बेकार
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