उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
औरतें तो आज़ाद हो जाती हैं । माँएँ कभी आज़ाद नहीं हो पातीं । ज़िम्मेदारियाँ बहुत बड़ा बंधन है । गुलामी कहिये, उन्हें कहने दीजिये ।
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