थोड़े में बसर करने के सिद्धांत का कोई विकल्प नहीं दिखता । दिखेगा तो बताएँगे । हमारा तो आज़माया हुआ है । हमारे Divya Ranjan Pathak " निर्विकार" इसके साक्षात उदाहरण हैं ।
To everyone according to his need की सफलता संदिग्ध है, क्योंकि Need की कोई सीमा नहीं है । सीमा हो जाय तो मार्क्सवाद आया समझो ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें