उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
सोमवार, 26 दिसंबर 2011
यह भारत देश तमाशा है
यहाँ तानाशाह भी अपना अभियान शुरू करने से पहले महात्मा गाँधी की मूर्ति के समक्ष शीश नवाता है । और कोई आश्चर्य नहीं , यदि कभी हिन्दुओं में कसाई कौम पनपे तो वह बकरे की गर्दन पर छुरी चलाते समय मन्त्र बोले - "जय,गाँधी जी की जय" !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें