उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
सोमवार, 26 दिसंबर 2011
अब मैं अन्ना
* अपनी गलती मैं स्वीकार करता हूँ की मैं अभी तक अन्ना के साथ नहीं था । हीन भावना से ग्रस्त था मैं कि इतने बड़े ईमानदारी के कार्यक्रम में मैं भला कैसे शामिल हो सकता हूँ ? लेकिन अन्ना के सिपहसालारों के कारनामे सामने आने के बाद मैं भी अन्ना की लाइन में आने के लिए अर्ह , योग्य हो गया हूँ । शासन पर ईमानदारी का दबाव बनाना है , स्वयं ईमानदार तो होना नहीं है । और भूषण तो बहुत बड़े हैं , अरविन्द , किरनकुमार से ज्यादा भ्रष्टाचारी तो मैं कभी नहीं रहा जो मैं अन्ना आन्दोलन में किसी से पीछे रहूँ ! मैं व्यक्तिगत रूप से तो इनसे ज्यादा ही ईमानदार रहा हूँ । अतः अगले आन्दोलन में अन्ना के पीछे चलने में मुझे कोई परेशानी नहीं होगी , यदि वह अब भी आगे चले तो । और यदि मेरी समझ में तब तक यह न आ जाय कि अन्ना का आन्दोलन तो स्वयं में एक महान राजनीतिक भ्रष्टाचार है । #
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