सोमवार, 1 अगस्त 2011

गोदान के ७५ वर्ष

Ugra Nath Nagrik, ‘LAGHUTA’, L-5-L/185,Aliganj,Lucknow-226024

Mob-09415160913, Email-priyasampadak@gmail.com Dt- 30/7/११

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* क्या फर्क पड़ता है फिर स्थितियों पर ? यदुरप्पा मुख्या मंत्री नहीं तो उनके पसंद का मुख्य मंत्री ! भाज पार्टी का चरित्र क्या बदला ?फिर यदुरप्पा स्वयं को भाजपा का अनुशासित सिपाही / कार्यकर्त्ता बता रहे हैं | "तो भाजपा एक अनुशासित भ्रश्तचरिओन की पार्टी है ", यही तो अर्थ निकलता है ? ##

* एक अनावश्यक , अतिरिक्त प्रश्न उठता है कि ऐसी दशा में कहाँ हैं माओ वादी ? क्या कर रहे है वे ? उनकी ज़रुरत यहाँ धरातल पर तमाम निर्विवाद भ्रष्टाचारियों से निपटने की है , तो वे जंगलों में भागे हुए हैं | हमें वे गंदगी से मुक्ति दिलाने का उनका कर्तव्य उनकी समझ में क्यों नहीं आता ? ##

* अन्ना हजारे को , लगता है , जेल जाने का शौक पूरे उत्कर्ष पर चर्रा गया है | उनके मुँह से जेल ही जेल निकलता है | सोते - जागते बडबडाते हैं | " जंतर मंतर नहीं तो जेल सही " , " तब तक जेल में बैठते हैं " इत्यादि | शहीद होने की उनकी तमन्ना पूरी है , और इंशा अल्ला उनके साथियों की साजिश इसे जल्दी ही पूरा कार देगी | ##

* [कवितानुमा [

चलिए मान गए

आप दोषी नहीं हैं

और आपके साथी

बाल कृष्ण निरपराध हैं ,

उनकी डिग्रियां झूठी नहीं हैं

पासपोर्ट बिल्कुल सही है

बंदूकों के लाइसेंस जायज़ हैं

सब कुछ ठीक है ,

पर यह कहना तो ठीक नहीं है

कि आप लोग संत है

या योगी , रामदेव | ##

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* गोदान के ७५ वर्ष | प्रश्न है , १९३६ से ही सही , तब से अब तक कुछ बदला क्यों नहीं ? कारण यह है कि किसान उपन्यास का विषय है , भाषण और आंसू बहाने का विषय है | वह जीवन का अंग नहीं है किसी के | और न ही कोई उन स्थितियों को अब जीने के लिए तैयार है , क्योंकि वह बड़ा कष्टकर है | इसलिए सब सभ्य -जन खेत बेचकर शहर आ रहे हैं | असली फार्म छोड़ कर नकली फार्महाउस बना रहे हैं | इसलिए कुछ नहीं बदला ,क्योंकि किसान पर राजनीति तो हो सकती है , लेकिन वस्तुतः किसनई नहीं हो सकती | क्षमा करना मुंशी प्रेमचंद जी | ##

* एक बात मैं और कह रहा था कि जिन उच्च पदों के भ्रष्टाचार के खिलाफ दिल्ली में लडाई चल रही है , यह सूक्ष्म ध्यान देने की बात है ,वे लोग यदि बिल्कुल कोई अनैतिक धन न प्राप्त करें, तो भी ऊपर खर्च की जा धन राशि अथाह है | उनकी जीवन शैली राजसी है | कभी -कभी मुझे , गलत ही सही , लगता है कि ऊपरी भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर जनता का ध्यान इस फिजूलखर्ची से हटाया जा रहा है , क्योंकि उसकी कोई बात ही नहीं करता | इसका कारण यह है कि उपरोक्त सिविल सोसायटी भी तो उसी पॉश जीवन शैली की शिकार हैं | इसलिए वह उन्हें दिख ही नहीं सकता |चाहें किरण बेदी हों या प्रशांत भूषण , ये मामूली लोग नहीं हैं | पर हमारी दृष्टि में तो नेताओं का सामान्य ,नैतिक जीवन भी एक महा भ्रष्टाचार से कम नहीं प्रतीत होता | केवल इनका वेतन भत्ते वगैरह ही आप जान लीजिये तो आप की आँखें खुल जायं | मुझे तो शंकर दयाल शर्मा जैसे व्यक्ति की अपने आवास पर अकूत खर्चवाही ही तत्समय बहुत बुरी और नागवार गुज़री थी | अभी प्रतिभा पाटिल जी के बंगले के लिए भवन -अधिग्रहण का समाचार आया है | तो बिल्कुल कानूनी और जायज़ तरीकों से भी देश को लूटा जा रहा है ,यह मैं कहना चाहता हूँ | अब विडम्बना यह कि इनके खिलाफ कोई एजेंसी ,कोई कोर्ट अप का साथ न देगा , क्योंकि ये कृत्य संपूर्णतः संविधान सम्मत हैं | ##

* ३०/७ /११/ आज मेरे लघु आवास पर " प्रेमचंद , आज का समय और सन्दर्भ " विषय पर अनिमेष फौंडेशन और सरोकार के तत्त्वावधान में एक लघु संगोष्ठी का आयोजन हुआ | कम ही सही , वक्ताओं ने अनौपचारिक रूप से बड़ी सारगर्भित बातें कहीं | बन्धु कुशावर्ती ने मुख्य वक्ता के रूप में बड़े सुविग्य तथ्य रखे जिन पर दीपक श्रीवास्तव , भगवत प्रसाद 'सविता ', दिव्य रंजन पाठक , ज्ञान प्रकाश , रणजीत कुमार ने गंभीर परिचर्चा की | अशोक चंद की अध्यक्षता में हुयी इस गोष्ठी में उग्रनाथ नागरिक ने हार्दिक धन्यवाद प्रस्तुत किया |

इस अवसर पर श्री दिव्य रंजन द्वारा संपादित उग्रनाथ का कविता - संग्रह {पाण्डुलिपि } का विमोचन भी संपन्न हुआ |


* प्रेमचंद जयन्ती के अवसर पर मैं आज "देहाती दल " की स्थापना कर रहा हूँ | ## [३१/७/११ ]




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