! - There are so many Annas to carry forward Anna's mission । No, I am not Anna .India is no Anna . Anna is not India [Indira is India had spoiled the democracyin huge volume] . I am in my name and a citizen of India . No one should imitate others' name .This is a major point of dessent for us rationalists, a own minds' group. Please don't change the nation into a single person. ## We dont follow anyone in toto
We don't make followers either |
2 - हुज़ूर आते आते बड़ी देर कर दी | यही कहना होगा सांसदों के घरों पर अन्ना के प्रदर्शनकारियों से । अब याद आये एम पी लोग ? जबकि इन्ही के पास तो सबसे पहले जाना चाहिए था , बल्कि इन्ही के पास जाना ही आप की सीमा थी - जन प्रतिनिधियों को समझाते , प्रभावित करते ,उन पर दबाव डालते । लेकिन आप तो सरकार के साथ मंत्रियों की कमेटी में हो आये , अपना ड्राफ्ट सरकार को दे आये , स्टेंडिंग कमेटी से मिल आये , बात नहीं बनी तो इतने दीं अन्ना लीला कर लिए । तो अब जाकर एम पी याद आये ? नहीं , हम आपको कोई आश्वासन नहीं दे सकते । जो कुछ करेंगे ,कहेंगे सदन में कहेंगे । कब आपने हम तुच्छों को विश्वास में लेने की कोशिश की ? अलबत्ता गालियाँ ज़रूर देते रहे । यदि हम भ्रष्ट हैं तो हमें नोट दो, हम तुम्हे समर्थन देंगे | अब तो हम नहीं आते तुम्हारे धौंस में |अग्निवेश यदि हमें शून्य अंक दिलाते हैं तो दिलाएं , अन्ना टीम हमारी constituency नहीं है |और यदि प्रदर्शन इस तरीके से कही हिंसक हो गया तो समझो सरकार क काम बन गया ,अन्ना की हेंकड़ी गिर गयी । ##
३ - आप की मांग सही है तो क्या किसी की जान लेना भी जायज़ है ? इसलिए यदि अन्ना को कुछ हो जाता है तो अन्ना को आत्महत्या [हत्या] के लिए उकसाने के जुर्म में तीन तिलंगों पर कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए । इसमें केवल अन्ना दोषी नहीं हैं ,उनका इरादा तो नेक ही है । हाँ , यह भी गौरतलब है, प्रदर्शनकारियों के लिए ,कि संतोष हेगड़े जी क्यों टीम से बाहर नजर आ रहे हैं ? क्या वह देशद्रोही , भ्रष्टाचार समर्थक हैं ? ##
४ - दिक्कत यह है कि यदि अन्ना अनशन तोड़ना भी चाह रहे होंगे तो उनकी पृष्ठ ताकतें उन्हें ऐसा नहीं करने देंगीं , भले उनकी जान चली जाय । याद किया जाय गाइड फिल्म के अंतिम दृश्यों को , जब देवानंद अन्ना हजारे हो जाता है ,तो मामला साफ़ हो जाता है । ##
५ - देश क पैसा देश से बाहर न जाय , यह तो ठीक है । पर भारत में भी कोई पैसा [भारत को मजबूत या खोखला करने के लिए ] भारत में न आये ,इस साधारण सी बात को मानने में किसी को क्या एतराज़ होना चाहिए । एन जी ओ को बाहर से पैसा क्यों मिले ,वह भी बगैर किसी जवाब देही के ? कोई मदद -इमदाद मिले तो भारत सरकार को मिले । ऐसी आर्थिक आज़ादी भी क्या जिस से आर्थिक व्यभिचार पैदा हो ? इसे भला अन्ना जी क्या समझें और कितना समझें ? और उनकी टीम तो खुद उससे पोषित है , पर ngo's के लिए यह छूट क्या अनैतिक नहीं है ? भाई , स्वराज और स्वदेशी क मामला है ,अपने निजी जज्बे ,अर्थ ,साधन और संसाधन पर भरोसा रखो और उसी से काम लो , विदेशों की ओर क्यों झांकते हो ? हमारे कथन में क्या गलत है ? ##
६ - राज तो करेगा अमरीका , जिसने दिया है पैसा । ##
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